सीख क्यों नहीं लेता
बहुत कुछ है सीखने के लिये सीखे सिखाये से इतर भी
कुछ इधर उधर का भी सीख
ज्यादा लिखी लिखाई पर
भरोसा करना ठीक नहीं होता
जिसे सीख कर
ज्यादा से ज्यादा माँगना शुरु कर सकता है भीख
ज्यादा से ज्यादा माँगना शुरु कर सकता है भीख
भीख भी
सबके नसीब में नहीं होती मिलनी
पहले कुछ इधर भी होना सीख
इधर आकर सीखा जायेगा बहुत कुछ इधर का
उसके बाद इधर से उधर होना भी कुछ सीख
बेनामी आदमी हो लेना उपलब्धि नहीं मानी जाती
किसी नामी आदमी का खास आदमी होना भी सीख
लाल हरी नीली गेरुयी पट्टियाँ ही अब होती हैं पहचान
कुछ ना कुछ होने की सतरंगी सोच से निकल
किसी एक रंग में खुद को रंगने रंगाने की सीख
रोज गिरता है अपनी नजरों से
लुटेरों की सफलता की दावतें देख कर
कभी सब कुछ अनदेखा कर
अपनी चोर नजर उठाना भी सीख
अपनी चोर नजर उठाना भी सीख
जो सब सीख रहे हैं सिखा रहे हैं
कभी कभी उन की शरण में जाना भी सीख
अपना भला हो नहीं सकता तुझसे
तेरे सीखे हुऐ से किसी और का भला
उनकी सीख को सीख कर ही कर ले जाना सीख
कितना लिखेगा
कब तक लिखेगा इस तरह से ‘उलूक’
कभी किसी दिन खाली सफेद पन्नों को
थोड़ी सी साँस लेने के लिये भी
छोड़ जाना भी सीख ।
थोड़ी सी साँस लेने के लिये भी
छोड़ जाना भी सीख ।
चित्र साभार: http://www.clipartpal.com/