कुछ लोग
बहुत थोडे़ शब्दों में
बहुत कुछ
कह ले जाते हैं
उनके शब्द
उनकी तरह सुन्दर होते हैं
उनके बारे में
कुछ
कहाँ बता जाते हैं ?
कहाँ बता जाते हैं ?
शब्द
मेरे पास भी नहीं होते हैं
ना ही
मेरी सोच में ही आ पाते हैं
मेरी सोच में ही आ पाते हैं
किसे बताउँ क्या बताउँ
कैसे कैसे लोग
क्या क्या कर ले जाते हैं
कुछ लोग
बस खाली बैठे बैठे
शर्माते हैं
सीख क्यों नहीं लेते
कुछ शब्द ऎसे
जो सब लोग कह ले जाते हैं
सब लोग समझ जाते हैं
सबके आस पास
सब कुछ हो रहा होता है
हर कोई किसीचीज पर
कुछ ना कुछ कह रहा होता है
कुछ ना कुछ कह रहा होता है
कुछ लोग
वो सब कुछ
क्यों नहीं देख ले जाते हैं
जिस पर लिखने से
लोग शोहरत पा ले जाते हैं
समान समान में विलय हो जाता है
सिद्धान्त पढ़ते पढ़ाते भी कुछ लोग
नहीं समझ पाते हैं
नहीं समझ पाते हैं
कुछ लोग ही तो होते हैं
जो कुछ लोगों का कहे को ही
कहा है
कहे जाते हैं
लोग लोग होते हैं
इधर होते हैं या उधर हो जाते है
कुछ लोग ही जानते हैं
जाने वाले किधर किधर जाते हैं
जाने वाले किधर किधर जाते हैं
बहुत से शब्द
बहुत से लोगों के पास हो जाने से
कुछ भी नहीं कहीं होता है
कुछ लोगों के कुछ शब्द ही
कुछ कहा गया है की श्रेणी में आ पाते हैं
मेरे तेरे और उसके जैसे लोग तो
आते हैं और चले जाते हैं
कुछ लोगों के लिये ही होती हैं
वही कुछ चीजें
उन का लुफ्त कुछ लोग ही उठा पाते हैं
कहीं से शुरु कर
कहीं पर खतम कर के देख ले
आज कल हो या परसों
कुछ लोग ही दुनियाँ को चलाते हैं
बहुत से लोग मर भी जायें
कुछ लोगों के लिये
से
कुछ नहीं होता है
से
कुछ नहीं होता है
शहीद
कुछ लोगों में से ही गिने जाते हैं
कुछ बातें कुछ लोगों की
कुछ लोग ही समझ पाते हैं ।
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