उलूक टाइम्स: बहुरूपिया
बहुरूपिया लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बहुरूपिया लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 4 जून 2018

इसकी उसकी पूजा करने के दिन लद गये ‘उलूक’ कुछ दिन अपनी अब करवाले मंदिर संदिर हो सके कहीं तो आज और अभी दो चार छोटे बड़े बनवाले

बहुत
दिन हो गये
चुपचाप बैठे

चलिये

बैठे ठाले
के
जमा किये
का
कुछ बाहर
निकालें

कथा
करा लें

ठीक नहीं
होता है

देखा भाला
सुना समझा
सम्भाल लेना

पोटली में
कहीं अंदर

अपनी
भाषा में
फिर से

कुछ
जुगाली
कर डालें

आईये
बिना तीरों
की
कमान से
कुछ तीखे
तीर निकालें

मरना
मारना
किस को
करना है

कुछ
हल्ला गुल्ला
हल्ले गुल्ले
के लिये
कर डालें

दर्ज करें
उपस्थिति
समाज में

सामाजिक
होने का दावा
मुट्ठी बन्द कर
हवा में उछालें


बैठे  
बैठे 
इधर उधर
बिखरे
कंकड़ पत्थर
जमा करें

कुछ फैलायें
कुछ उछालें

कुछ लाईन
में लगा कर
रास्ते दिखाने
भर के लिये

दीवारों में
चिपका कर
पोस्टर बाजी
ही कर डालें

आईये
चीटियों के
काटने के
निशानों की
कुछ फोटो
खिंचवालें

कुछ
फाईल में
दबा लें

कुछ
धो पोछ कर

अखबार
नवीसों
के घर जा
कर दे डालें

कुछ तो करें
कभी ही सही

थोड़ी देर
के लिये
ही सही
कहीं भी
एक लाईन
लगवालें

आईये
कुछ
कबूतरों को
कुछ
कौओं को
कुछ
चूहों को
कुछ
शेरों को

जंगल गीत
गाने
का न्योता

शहर के
पाँँच सितारा
में दे डालें
आईये 
अन्धे बन कर
कुछ आइने
ही सही
आँख वालों
को बेच डालें

कुछ बदलें
कुछ बदलने
का आह्वाहन
बस कर डालें

कुछ
श्रँगार रस
विधवाओं के
श्रँगार करने
के लिये
रच डालें
आईये रूप बदलें

बहुरूपियों
को ललकारें

शब्दों की
निकाल कर
कुछ कटारें

सफेद
पृष्ठभूमि पर
काले खून से

होली
काली सफेद
ही सही मनालें

आईये
नासमझ
‘उलूक’ को
कुछ
पढ़ालें
कुछ
समझालें

ढोंगियों
के बीच
रहकर
लिलार
पढ़ने
की आदत

बहुत हो गया
अब तो
डाल ही डाले

‘आम’
को ‘राम’
और
‘राम’ को
‘आम’
समझाना
सीखे

जगह जगह
हर जगह
‘उल्लू’ के
मन्दिर
ढलवा ले

‘आमकथा’
लिखवाले

कथावाचकों
को तैयार करे

अपनी पूजा
खुद करने
की आदत
खुद भी डाले

और भी

जिस जिस
से करवा
सके
करवाले ।

चित्र साभार: picclick.com