उलूक टाइम्स: मुलाकात
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शनिवार, 7 दिसंबर 2013

मुझे तो छोड़ दे कम से कम हर किसी को कुछ ना कुछ सुनाता है

कभी कहीं किसी ऐसी
जगह चला चल जहाँ
बात कर सकें खुल के
बहुत से मसले हैं
सुलझाने कई जमाने से
रोज मुलाकात होती है
कभी सुबह कभी शाम
कभी रास्ते खासो आम
इसके उसके बारे में तो
रोज कुछ ना कुछ
सामने से आता है
कुछ कर भी
ना पाये कोई
तब भी लिख
लिखा कर
बराबर कर
लिया जाता है
तेरा क्या है तू तो
कभी कभार ही
बहुत ही कम
समय के लिये
मिल मिला पाता है
जब बाल बना
रहा होता है कोई
या नये कपड़े कैसे
लग रहे हैं पहन कर
देखने चला जाता है
हर मुलाकात में ऐसा
ही कुछ महसूस
किया जाता है
अपने तो हाल ही
बेहाल हो रहे हैं
कोई इधर दौड़ाता है
कोई उधर दौड़ाता है
एक तू है हर बार
उसी जगह पर
उसी उर्जा से ओतप्रोत
बैठा नहीं तो खड़ा
पाया जाता है
जिस जगह पर कोई
पिछली मुलाकात में
तुझे छोड़ के जाता है
बहुत कर लिये मजे तूने
उस पार आईने के
रहकर कई सालों साल
अब देखता हूँ कैसे
बाहर निकल कर के
मिलने नहीं आता है
कुछ तो लिहाज कर ले
फिर नहीं कहना किसी से
दुनियाँ भर में कोई कैसे
अपने खुद के अक्स को
इस तरह से बदनाम
कर ले जाता है ।

मंगलवार, 24 सितंबर 2013

मर गयी बीमार नहीं थी बहुत खुश हो गयी थी

एक लड़की
हमेशा बहुत
खुश दिखती थी

शादी के सोलह
साल बाद
उम्मीद होने
से उसकी
खुशी दुगुनी
हो गयी थी

इंतजार की
घड़ियां कुछ
लम्बी जरूर
हो गयी थी

मगर होते
होते बहुत
छोटी हो
गयी थी

दो दिन
पहले
ही उससे
राह चलते
मुलाकात
भी हो
गई थी

कल हुई
थी सर्जरी
जो आजकल
के जमाने में
आम बात
हो गयी थी

बेटा हुआ
था और
खुशी की
बरसात
हो गयी थी

बस एक दिन
के बाद की
खबर आम
हो गई थी

खुशी खुशी
वो इस दुनिया
से ही विदा
हो गई थी

 डाक्टर ने
बताया
इतना खुश
हो गई थी
कि हमेशा
के लिये ही
सो गई थी

पहली बार
ही ऐसी बात
कुछ सुनी थी

मेरे लिये नयी
बस नयी सी थी
बीमारी से नहीं
खुशी से
हो गई थी

एक खुश
मिजाज लड़की
इतना खुश
हो गयी थी

मौत के साथ
खुशी खुशी
विदा हो गयी थी ।