उलूक टाइम्स: यूजीसी
यूजीसी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
यूजीसी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

झपट लपक ले पकड़

जमाना
वाकई में
बड़ी तेजी से
बदलता
जा रहा है

कौआ
कबूतर को
राजनीति
सिखा रहा है

कबूतर
अब चिट्ठियाँ
नहीं पहुंचाया
करता है

कौवा भी
कबूतर को
खाया नहीं
करता है

कौवा
उल्लुओं का
शिकार करने
की नयी
जुगत
बना रहा है

कौवा
कबूतर
भेज कर
उल्लूओं को
फंसा रहा है

ये पक्षियों
को क्या होता
जा रहा है

पारिस्थितिकी
को क्यों इस तरह
बिगाड़ा जा रहा है

"आदमी की
संगत का असर 

पक्षियों का
राजनीतिक
सफर"

मूँछ मे
ताव देता
एक प्रोफेसर
टेढ़े टेढ़े मुंह से
हंसता हुवा
यू जी सी की
संस्तुति हेतु
एक करोड़
की परियोजना
बना रहा है।

मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

अतिथि देवो भव :

क्या हुवा  
भाई
काहे  

बौरा रहे हो
खच्चड़  

हो गया
किसे  

सुना रहे हो?

साहब को
खच्चर
कैसे
बता रहे हो?

परीक्षक
तो आते
ही रहते हैं
परीक्षा
भी हर
साल की
तरह ही
तो करा
रहे हो

अब चार
सितारे
ही तो
दिये गये हैं
यूजीसी/नाक
के द्वारा आपको

फिर पाँच
सितारा
फैसिलिटी
अतिथि गृह में
क्यों चाह रहे हो

माना की
अतिथि का
सत्कार करना
हमारा धर्म है
पर उसे भी
क्या नहीं
करना चाहिये
कुछ कर्म है

आते ही
शुरु हो
जाता है
चाय चाय
चिल्लाता है
पत्ती दूध
अपने साथ
लेकर
क्यों नहीं
वो आता है

कुछ 

देर बाद
चादर
को लेकर
चिल्लायेगा
हल्की तो
होती है
अपने साथ
फिर भी
लेकर
नहीं आयेगा

नाश्ता
खाना पानी
पर ध्यान
फिर लगायेगा
पढ़ाई लिखाई
की बात
करने के
लिये आया है
वो क्या उसका चाचा
करके यहाँ जायेगा

अरे
पूरा देश जब
भगवान के
भरोसे
चलाया
जा रहा है
तो आप
लोगों का
विश्वास
उसपर से
क्यों उठा
जा रहा है

भगवान के
मंदिर वंदिर
घुमा के
ले आओ
विद्यालय
अतिथि गृह को
ताजमहल होटल
बनाने के सपने
मत बनाओ

जाओ
ठंडे हो
जाओ
दिमाग
मत खाओ।