ख्वाब
पर लिखना
है जनाब
लिख और
बेहिसाब लिख
फेहरिस्त
छोटी सी लेकर एक
जिन्दगी के पूरे हिसाब पर लिख
रोज
लिखता है कुछ
देखे हुऐ कुछ पर
कुछ भी अटपटा बिना सोचे
सोच कर
जरा लिख कर दिखा
थोड़ा सा कुछ सुरखाब पर लिख
बना रहा है
ख्वाब के समुन्दर
कोई पास में ही
डूब कर
ख्वाबों में उसके ही सही
ले आ एक ख्वाब माँगकर कभी
लिख कुछ उसी के ख्वाब पर लिख
किसी की झूठी
आब के रुआब से निकल कर आ
आभासी नशे में झूम रही
सम्मोहित कायनात के
वीभत्स हो गये शबाब पर लिख
लिख और
बस थोड़ी सी देर रुक
फिर उस लिखे से
मिलने वाले अजाब पर लिख
किसी ने
नहीं कहा है
फिर से सोच ले
‘उलूक’
एक बार और
ख्वाब पर
लिखने के बहाने भी
अपनी रोजमर्रा की
किसी भड़ास पर लिख ।
चित्र साभार: www.hikingartist.com
अजाब: पीड़ा, दु:ख, पापों का वह दण्ड जो यमलोक में मिलता है, यातना,
फेहरिस्त: सूची पत्र
आब: छवि, चमक, तड़क-भड़क, इज्जत, पानी
रुआब: रोब, शक्ति, सम्मान, भय, आतंक या कोई विशेष बात आदि से प्राप्त प्रसिद्धि
शबाब: यौवन काल, जवानी।