उलूक टाइम्स: शबाब
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शनिवार, 4 अगस्त 2018

आग पर लिखले कुछ भी जलता हुआ इससे पहले कह दे कोई सुन जरा सा अब कुछ बची हुयी राख पर लिख


ख्वाब
पर लिखना
है जनाब

 लिख और
बेहिसाब लिख

फेहरिस्त
छोटी सी लेकर एक
जिन्दगी के पूरे हिसाब पर लिख


रोज
लिखता है कुछ
देखे हुऐ कुछ पर
कुछ भी अटपटा बिना सोचे

सोच कर
जरा लिख कर दिखा
थोड़ा सा कुछ सुरखाब पर लिख

बना रहा है
ख्वाब के समुन्दर
कोई पास में ही

डूब कर
ख्वाबों में उसके ही सही
ले आ एक ख्वाब माँगकर कभी
लिख कुछ उसी के ख्वाब पर लिख

किसी की झूठी 
आब के रुआब से निकल कर आ
आभासी नशे में झूम रही
सम्मोहित कायनात के
वीभत्स हो गये शबाब पर लिख

लिख और
बस थोड़ी सी देर रुक
फिर उस लिखे से
मिलने वाले अजाब पर लिख


किसी ने
नहीं कहा है
फिर से सोच ले
‘उलूक’
एक बार और

ख्वाब पर
लिखने के बहाने भी
अपनी रोजमर्रा की
किसी भड़ास पर लिख ।

चित्र साभार: www.hikingartist.com


अजाब: पीड़ा, दु:ख, पापों का वह दण्ड जो यमलोक में मिलता है, यातना,
फेहरिस्त: सूची पत्र
आब: छवि, चमक, तड़क-भड़क, इज्जत, पानी
रुआब: रोब, शक्ति, सम्मान, भय, आतंक या कोई विशेष बात आदि से प्राप्त प्रसिद्धि
शबाब: यौवन काल, जवानी।