अवयय:
1. थोड़े पैसे खर्चे के लिये,
2. एक दो संस्थाये कुछ देने के लिये,
3. चार पाँच एक सी सोच की नामचीन हस्तियाँ,
4. बिना किराये का हॉल या बारात घर,
5. एक मेज, चार पाँच गद्दीदार कुर्सियाँ, दरी,
6. प्लास्टिक की कुछ और कुर्सियाँ,
7. कुछ अखबार वाले मित्र,
8. घर का ही कोई एक फोटोग्राफर,
9. सरकारी कँप्यूटर, प्रिंटर, फैक्स, इंटरनेट कनेक्शन,
10. थोड़े रिश्तेदार,
11. कुछ नासमझ बेवकूफ लोग भीड़ बनाने के लिये
और सबसे महत्वपूर्ण
12. एक गरम गरम बिकने वाला मुद्दा |
बनाने की विधि:
बात
पर बात
बनाने की विधि
सबसे
आसान होती है
थोड़ा सा
दिमाग
अगर हो तो
बनी हुई बात
बहुत स्वादिष्ट
और बिकने में
तूफान होती है
एक
गरम मुद्दा
पर्यावरण,
वृक्षारोपण,
ग्लोबल वार्मिंग,
ब्लात्कार
या कोई भी
अपनी
इच्छा अनुसार
पकड़ कर
शुरु हो जाइये
धीमे धीमे ही
पकानी
होती हैं बातें
जरा सा भी
मत घबराइये
अपनी जैसी
सोच के
चार नामचीन
आदमियों
को पटाइये
चार कुर्सियों
के सामने
एक मेज लगाइये
सामने से फोटो
खिँचवानी है
पीछे की भीड़
कम हो तो
नहीं दिखानी है
ना ही बतानी है
काम सारा
मुफ्त में
सरकारी
करवा
ले जाइये
बिल विल
गैर सरकारी
ठप्पों के
बनवाइये
अखबारी दोस्त
कब काम आयेंगे
बात की बात पर
बाकी बातें उनसे
लिखवा कर
अखबार
के फ्रंट पेज
पर छपवाइये
फोटोकापी
अखबार की
सौ एक करके
ऊपर को और
कहीं भिजवाइये
बात पकानी बहुत
आसान होती है
जितनी चाहे
पका ले जाइये
करना कहाँ कुछ
किसी को होता है
बातें करना
और बनाना
सबसे जरूरी
होता है
अच्छे दिनों कि
कितनी सारी
बाते हुई है
आज तक
जरा पीछे
जा कर देख
कर आइये
पेड़ कहीं नहीं
लगाने होते हैं
मन के अंदर
ही अपने
जितने चाहे
जंगल बनाइये
संजीव कपूर को
खाना बनाने
के लिये याद
कर रहा है
आज के दिन
पूरा भारत देश
‘उलूक’
को बातूनी
का ही सही
एक तमगा
दे जाइये।
1. थोड़े पैसे खर्चे के लिये,
2. एक दो संस्थाये कुछ देने के लिये,
3. चार पाँच एक सी सोच की नामचीन हस्तियाँ,
4. बिना किराये का हॉल या बारात घर,
5. एक मेज, चार पाँच गद्दीदार कुर्सियाँ, दरी,
6. प्लास्टिक की कुछ और कुर्सियाँ,
7. कुछ अखबार वाले मित्र,
8. घर का ही कोई एक फोटोग्राफर,
9. सरकारी कँप्यूटर, प्रिंटर, फैक्स, इंटरनेट कनेक्शन,
10. थोड़े रिश्तेदार,
11. कुछ नासमझ बेवकूफ लोग भीड़ बनाने के लिये
और सबसे महत्वपूर्ण
12. एक गरम गरम बिकने वाला मुद्दा |
बनाने की विधि:
बात
पर बात
बनाने की विधि
सबसे
आसान होती है
थोड़ा सा
दिमाग
अगर हो तो
बनी हुई बात
बहुत स्वादिष्ट
और बिकने में
तूफान होती है
एक
गरम मुद्दा
पर्यावरण,
वृक्षारोपण,
ग्लोबल वार्मिंग,
ब्लात्कार
या कोई भी
अपनी
इच्छा अनुसार
पकड़ कर
शुरु हो जाइये
धीमे धीमे ही
पकानी
होती हैं बातें
जरा सा भी
मत घबराइये
अपनी जैसी
सोच के
चार नामचीन
आदमियों
को पटाइये
चार कुर्सियों
के सामने
एक मेज लगाइये
सामने से फोटो
खिँचवानी है
पीछे की भीड़
कम हो तो
नहीं दिखानी है
ना ही बतानी है
काम सारा
मुफ्त में
सरकारी
करवा
ले जाइये
बिल विल
गैर सरकारी
ठप्पों के
बनवाइये
अखबारी दोस्त
कब काम आयेंगे
बात की बात पर
बाकी बातें उनसे
लिखवा कर
अखबार
के फ्रंट पेज
पर छपवाइये
फोटोकापी
अखबार की
सौ एक करके
ऊपर को और
कहीं भिजवाइये
बात पकानी बहुत
आसान होती है
जितनी चाहे
पका ले जाइये
करना कहाँ कुछ
किसी को होता है
बातें करना
और बनाना
सबसे जरूरी
होता है
अच्छे दिनों कि
कितनी सारी
बाते हुई है
आज तक
जरा पीछे
जा कर देख
कर आइये
पेड़ कहीं नहीं
लगाने होते हैं
मन के अंदर
ही अपने
जितने चाहे
जंगल बनाइये
संजीव कपूर को
खाना बनाने
के लिये याद
कर रहा है
आज के दिन
पूरा भारत देश
‘उलूक’
को बातूनी
का ही सही
एक तमगा
दे जाइये।