बहुत से हैं
पूरे हैं
दिख रहे हैं
साफ साफ
कि हैं
फिर
किसलिये
ढूँढ रहा है
जो
अधूरे हैं
क्षय होना
और
सड़ जाने में
धरती आसमान
का अन्तर है
उसे
क्या सोचना
जिसने
जमीन
खोद कर
ढूँढने ही बस
मिट चुकी
हवेलियों के
कँगूरे हैं
पूरे हैं
दिख रहे हैं
साफ साफ
कि हैं
फिर
किसलिये
ढूँढ रहा है
जो
अधूरे हैं
क्षय होना
और
सड़ जाने में
धरती आसमान
का अन्तर है
उसे
क्या सोचना
जिसने
जमीन
खोद कर
ढूँढने ही बस
मिट चुकी
हवेलियों के
कँगूरे हैं
समझ में
आता है
घरेलू
जानवर का
मिट्टी में लोटना
मालिक की रोटी
के लिये
उसके
दिल में भी हैं
कई सारे बुलबुले
बनते फूटते
चाहे आधे अधूरे हैं
सम्मोहित होना
किसने कह दिया
बुरा होता है
अजब गजब है
नखलिस्तान है
टूट जाने के
बाद भी
सपने
उस्ताद
के लिये
तैयार
मर मिटने के लिये
जमूरे हैं
मर जायेंगे
मिट जायेंगे
हो सकेगा तो
कई कई को
साथ भी
ले कर के जायेंगे
जमीर
अपना
कुछ हो
क्या जरूरी है
जोकर पे
दिलो जाँ
निछावर
करने के बाद
किस ने देखना
और
सोचना है
मुखौटे के पीछे
किस बन्दर
और
किस लंगूर के
लाल काले
चेहरे
कुछ सुनहरे हैं
‘उलूक’
किसलिये
लिखना
लिखने वालों
के बीच
कुछ ऐसा
जब पहनाने वाले
उतारने
वालों से
बहुत ही कम है
सब
हमाम में हैं
भूल जाते हैं
उनके चेहरे
उनके नकाब
और
उनके
आईने तक
हर किसी के पास हैं
नये हैं
अभी खरीदें हैं
और
जानते हैं
कुछ छोले हैं
और
कुछ भटूरे हैं।
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