ने
सूचना एक भिजवाई थी
सूचना एक भिजवाई थी
आज ही के दिन की
तारीख लगवाई थी
लिखा था
मिलने के लिये आ जाना
जो भी पूछूंगा
यहाँ आकर बता जाना
यहाँ आकर बता जाना
वेतनभोगी
का वेतन तो खाते मैं जाता है
जो भी होता है
साफ नजर आता है
आयकर तो नियोक्ता
खुद
काट कर
काट कर
भिजवाता है
साल में
दो महीने का वेतन
आयकर में चला जाता है
खुशी होती है
कुछ हिस्सा देश के
काम में जब आता है
समझ में
नहीं आता है
ऎसे आदमी से
वो और क्या नया
पूछना चाहता है
अरबों खरबों
के
टैक्स चोर
घूम रहे हैं खुले आम
घूम रहे हैं खुले आम
उनसे
टकराने की हिम्मत तो
कोई नहीं कर पाता है
माना कि
कोई कोई मास्टर
धंदेबाज भी हो जाता है
वेतन
के अलावा के कामों में
लाखों भी कमाता है
ट्यूशन की दुकान चलाता है
लाख रुपिये की कापियाँ
एक पखवाडे़ के अंदर ही जाँच ले जाता है
एक पखवाडे़ के अंदर ही जाँच ले जाता है
उस आय से बीबी के गले में
हीरों का हार पहनाता है
आयकर वाला
लगता है
शायद ऎसी बीबी को बस कुछ ऎसे ही
देखता रह जाता है
पूछ कुछ नहीं पाता है
सड़क पर कोई
बेशकीमती गाड़ी
दो दो भी दौड़ाता है
बहुमंजिले
मकान पर मकान बनाता है
अच्छा करता है
कोई अगर तकिये के नीचे नोट छिपाता है
उधर
पहुँचने पर
पेशी में पूछा जाता है
कितना
राशन पानी दूध चीनी
तू हर महीने अपने घर को ले जाता है
हिसाब किताब
लिख कर दे जाना
अगली तारीख लगा दी है
वो
मुस्कुराते हुवे जब बताता है
ईमानदारी
वाकई
अभिशाप तो नहीं
ऎसे समय में
लगने लग जाता है
बेईमान
होने से ही
शायद आदमी
इन लफड़ों में
नहीं
नहीं
कभी फंस पाता है ।
चित्र साभार: https://in.finance.yahoo.com/
चित्र साभार: https://in.finance.yahoo.com/