सालों
गुजर गये
सोचते हुऐ
लिखने की
कुछ
कुछ ऐसा
जिसका
कुछ
मतलब निकले
लिखना
आने से
मतलब
निकलने वाला
ही
लिखा जायेगा
लिखा जायेगा
बेमतलब
की
बात है
बात है
बेमतलब
का
का
कई लिख लेते हैं
भरी पड़ी हैं
किताबें कापियाँ
लकीरों से
आड़ी तिरछी
आड़ी तिरछी
पर
मुझ से
नहीं लिखा गया
कुछ भी
लिखे जैसा
लिखे जैसा
आज भी
कोशिश जारी है
कोशिश जारी है
बस
कुछ दिनों से
लिखना
थोड़ा
झिझकते हुऐ
झिझकते हुऐ
जैसे
ठिठक गया
ठिठक गया
समय
के
ठिठक जाने
ठिठक जाने
के
कुछ
कुछ
एहसासों के साथ
पढ़ते पढ़ते
बेमतलब का
लिखा हुआ
हर तरफ
मतलब
का
का
मतलब
क्या होता है
क्या होता है
वही
समझना रह गया
समझना रह गया
अपनी अपनी
समझ
समझ
अपना अपना
पढ़ना
पढ़ना
इसकी बकवास
उसके लिये
साहित्य
साहित्य
उसका
साहित्य
इसके लिये
बकवास
बकवास
रद्दी
खरीदने वाले के लिये
बकवास
भी रद्दी
भी रद्दी
साहित्य
भी रद्दी
भी रद्दी
ना गाने वाले के लिये
गर्दभ राग ही बस राग
लिखना
क्या है
क्या है
लिखने
से क्या होता है
से क्या होता है
पता होना
मगर
शुरु हो गया
मगर
शुरु हो गया
लिखना है
लिखना समझना है
जब तक शुरु होता
दौड़ना
दिखना
शुरु हो गया
दौड़ना
लिखे हुऐ
को
हाथ में लेकर
एक दो तीन
होते होते
भीड़
दिखनी
शुरु हो गयी
शुरु हो गयी
लिखा लिखाया
पीछे रह गया
पीछे रह गया
हर कोई
दौड़ रहा है
दिखने लगा
लिखा लिखाया है
हर कोई कह रहा होता है
बस वही
दिखाई
नहीं दे रहा होता है
दिखाई
नहीं दे रहा होता है
लिखने
का
मतलब
बस
साहित्य होता है
साहित्य होता है
चिल्ला
रहा होता है
थोड़ी
देर के बाद
एक झंडा
साहित्य
लिखा
लिखा
कोई
सड़क से
दूर बहुत दूर
कहीं किसी बियाबान में
बंजर खेत की ओर लहराता दौड़ता
एक
लिखने वालों की भीड़ से ही
निकल गया होता है
कुछ भी लिखा
साहित्य नहीं होता है
साहित्य
बताने का फार्मूला
साहित्यकार
की मोहर
की मोहर
हाथ की कलाई में
लगे हुऐ के
पास ही होता है
पास ही होता है
साहित्य
नहीं लिख
सकने वाले को
लिखना
ही
नहीं होता है
ही
नहीं होता है
ठेका
किसका
किसके पास है
पूछ
लेना होता है
लेना होता है
‘उलूक’
रात के अंधे को
दिन की बात में
दखल नहीं देना होता है
कविता कहना
गुस्ताखी होगी
मगर
लम्बी
कविता का
फार्मेट
फार्मेट
और
बकवास
करने का फार्मेट
लगभग
एक जैसा ही होता है ।
चित्र साभार: http://clipart-library.com/