सोच रहा था
कल से
इस पर
कुछ भी नहीं
लिखना
विखना चाहिये
करने
वाले को
कौन सा इसे
पढ़ ही लेना है
मुझे भी
बस चुप ही
रहना चाहिये
पर
मिर्ची खाने पर
पानी पीना कभी
पड़ ही जाता है
सू सू
की आवाज
बंद भी
कर ली जाये
तब भी
मुँह लाल
होना तो
सामने वाले को
दिख ही जाता है
इसलिये
रहा नहीं गया
जब देखा
स्वयंवर
टाला ही
जा चुका है
सारे के सारे
बनाये गये
रामों को
दाना
डाला जा चुका है
बेशरम
राम बनने का
जुगाड़ लगा रहे थे
देख
भी नहीं रहे थे
राम
की मुहर जब
ना
जाने कब से
वो
अपने पास ही
दिखा रहे थे
अब जब राम
भगवान होते हैं
पता था इन सबको
फिर
ये कैसे
सीता को
पाने के सपने
देखे जा रहे थे
खेमे पर खेमे
किसलिये बना रहे थे
सुग्रीव
भी बेचारे
इधर से उधर
जाने में अपना
समय पता नहीं
क्यों गंवा रहे थे
रावण
के परिवार की तरह
राज काज जब
संभाला जा रहा था
लोगों को
दिखाने के लिये
रावण का पुतला भी
निकाला जा रहा था
सीता के
अपहरण के लिये
राम बनकर ही मौका
निकाला जा रहा था
कैसे
हो जायेगा
स्वयंवर
उसके बिना मूर्खो
जब
उसने अभी तक
अपना
रामनामी चोला
अभी नहीं उतारा था ।
कल से
इस पर
कुछ भी नहीं
लिखना
विखना चाहिये
करने
वाले को
कौन सा इसे
पढ़ ही लेना है
मुझे भी
बस चुप ही
रहना चाहिये
पर
मिर्ची खाने पर
पानी पीना कभी
पड़ ही जाता है
सू सू
की आवाज
बंद भी
कर ली जाये
तब भी
मुँह लाल
होना तो
सामने वाले को
दिख ही जाता है
इसलिये
रहा नहीं गया
जब देखा
स्वयंवर
टाला ही
जा चुका है
सारे के सारे
बनाये गये
रामों को
दाना
डाला जा चुका है
बेशरम
राम बनने का
जुगाड़ लगा रहे थे
देख
भी नहीं रहे थे
राम
की मुहर जब
ना
जाने कब से
वो
अपने पास ही
दिखा रहे थे
अब जब राम
भगवान होते हैं
पता था इन सबको
फिर
ये कैसे
सीता को
पाने के सपने
देखे जा रहे थे
खेमे पर खेमे
किसलिये बना रहे थे
सुग्रीव
भी बेचारे
इधर से उधर
जाने में अपना
समय पता नहीं
क्यों गंवा रहे थे
रावण
के परिवार की तरह
राज काज जब
संभाला जा रहा था
लोगों को
दिखाने के लिये
रावण का पुतला भी
निकाला जा रहा था
सीता के
अपहरण के लिये
राम बनकर ही मौका
निकाला जा रहा था
कैसे
हो जायेगा
स्वयंवर
उसके बिना मूर्खो
जब
उसने अभी तक
अपना
रामनामी चोला
अभी नहीं उतारा था ।