ऎ मालिक
तेरे बंदे हम
अगर आज
गा रही होती
नौकरी तेरी
इस तरह हाथ
से नहीं कहीं
जा रही होती
यही बात तो
आज उच्च
न्यायालय
ने समझाई है
वो कभी भी
मालिक और
नौकर के बीच
में नहीं आई है
मालिक बनने के
लिये किस्मत उसने
जब पाई है
जनता जनार्दन ने
ये टोपी उसको
पहनाई है
तेरे को ऎसा
क्या हुआ जो
तू ऎसे से लड़ने
पर उतारू
हो आई है
मेहनत की है
और की है तूने
बहुत पढा़ई है
मालिक को ये
बात कभी भी
नहीं पच पाई है
आज ये मालिक है
जिसने तेरी नौकरी
दाँव पर लगाई है
जो नहीं है मालिक
की जगह पर आज
उस की मूँछ भी
इस बात को लेकर
बहुत फड़फडा़ई है
तेरे साथ खड़ा
होगा आज क्योंकि
उसने भी खानी
कल मलाई है
तेरे जैसे ने ही
तो मालिकों के
लिये हमेशा से
समस्या बनाई है
इतिहास गवाह है
नौकरी छोड़ कर
मालिक बनने की
होड़ भी उसी
ने जगाई है
केजरीवाल ने
इसी लिये तुझे
आवाज एक लगाई है
वो लगा चुका है
मालिक बनने की
दौड़ में अपना हिस्सा
तेरे पास भी है
एक अच्छा मौका
क्यों नहीं तू भी
करती नौकरी
की भरपाई है
दुर्गा हो या शक्ति हो
मालिक के लिये
अगर नहीं
उसमें भक्ति हो
इज्जत भी कहाँ
नौकर की
बच पाई है
ये बात नौकर के
समझ में अभी तक
नहीं आई है
एक तरह से
देख ले उसने
मुलायम आदमी
की मुलायम
तबीयत पर
टिप्पणी करने से
जान बचाई है
इसी बात पर
न्यायालय ने मुहर
एक लगाई है
वो कभी भी
मालिक
और नौकर
के बीच में
नहीं आई है ।
तेरे बंदे हम
अगर आज
गा रही होती
नौकरी तेरी
इस तरह हाथ
से नहीं कहीं
जा रही होती
यही बात तो
आज उच्च
न्यायालय
ने समझाई है
वो कभी भी
मालिक और
नौकर के बीच
में नहीं आई है
मालिक बनने के
लिये किस्मत उसने
जब पाई है
जनता जनार्दन ने
ये टोपी उसको
पहनाई है
तेरे को ऎसा
क्या हुआ जो
तू ऎसे से लड़ने
पर उतारू
हो आई है
मेहनत की है
और की है तूने
बहुत पढा़ई है
मालिक को ये
बात कभी भी
नहीं पच पाई है
आज ये मालिक है
जिसने तेरी नौकरी
दाँव पर लगाई है
जो नहीं है मालिक
की जगह पर आज
उस की मूँछ भी
इस बात को लेकर
बहुत फड़फडा़ई है
तेरे साथ खड़ा
होगा आज क्योंकि
उसने भी खानी
कल मलाई है
तेरे जैसे ने ही
तो मालिकों के
लिये हमेशा से
समस्या बनाई है
इतिहास गवाह है
नौकरी छोड़ कर
मालिक बनने की
होड़ भी उसी
ने जगाई है
केजरीवाल ने
इसी लिये तुझे
आवाज एक लगाई है
वो लगा चुका है
मालिक बनने की
दौड़ में अपना हिस्सा
तेरे पास भी है
एक अच्छा मौका
क्यों नहीं तू भी
करती नौकरी
की भरपाई है
दुर्गा हो या शक्ति हो
मालिक के लिये
अगर नहीं
उसमें भक्ति हो
इज्जत भी कहाँ
नौकर की
बच पाई है
ये बात नौकर के
समझ में अभी तक
नहीं आई है
एक तरह से
देख ले उसने
मुलायम आदमी
की मुलायम
तबीयत पर
टिप्पणी करने से
जान बचाई है
इसी बात पर
न्यायालय ने मुहर
एक लगाई है
वो कभी भी
मालिक
और नौकर
के बीच में
नहीं आई है ।