उलूक टाइम्स: शैतान
शैतान लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शैतान लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 18 मार्च 2014

देश अपना है शरम छोड़ "उलूक" कोई हर्ज नहीं हाथ आजमाने में

दिखने शुरु हो
गये हैं दलाल
हर शहर गाँव
की गलियों
सड़कों बाजार
की दुकानों में
टोह लेते हुऐ
आदमी की
सूंघते फिरने
लगे हैं पालतू
जानवर जैसे
ढूँढ रहे हो
आत्माऐं अपने
मालिकों के
मकानो की
मकान दर
मकानों में
महसूस कराने
में लग चुके
हैं नस्ल किस्म
और खानदान
की गुणवत्ता
लगा कर
नया कपड़ा
कब्र के पुराने
अपने अपने
शैतानों में
ध्यान हटवाने
में लगे है
लड़ते भिड़ते
खूँखार भेड़ियों की
खूनी जंग से
जैसे हो रहे
हो युद्ध देश
की सीमा पर
जान देने ही
जा रहे हों
सिपाहियों की तरह
नजर लगी हुई है
सब की देश के
सभी मालखानों में
जानता है हर कोई
बटने वाली है
मलाई दूध की
कुछ बिल्लियों को
कुछ दिनों के
मजमें के बाद
आँख मुँह कान
बँद कर तैयार
हो रहा है
घड़ा फोड़ने के
खेल में दिमाग
बंद कर अपना
फिर भी भाग
लगाने में
क्या बुरा है
“उलूक”
सोच भी लिया
कर कभी किसी
एक बिल्ली का
दलाल तेरे भी
हो जाने में ।

रविवार, 11 अगस्त 2013

पता नहीं चलता है तो क्यों मचलता है !

खाली दिमाग 
शैतान के
घर में
बदलता है
दिमाग कुछ
ना कुछ
रख कर
तभी तो
चलता है
जब तक
कुछ नहीं
कहता है
कुछ भी
पता नहीं
चलता है
खुलती है
जब जुबाँ
तब  घर
का पता
चलता है
उस घर
के कोने
में अंधेरा
रखना कभी
भी नहीं
खलता  है
उजाले तक
को देखिये
जिसका
पता नहीं
चलता है
चेहरे को
देख कर
ही बस
दिल का
पता नहीं
चलता है
जब दिल
बिना धुऎं
के ही
हमेशा से
जलता है
सूरज अगर
रात को
और चांद
दिन में
निकलता है
तब आने
का पता
जाने को
भी नहीं
चलता है
बहुतों की
फितरत में
इस तरह
का जब
आजकल
देखने को
मिलता है
तू अपने
खुद के
रास्तों में
अपनी ही
लालटेन
लेकर क्यों
नहीं हमेशा
निकलता है ।

सोमवार, 30 अप्रैल 2012

शैतान बदरिया

ओ बदरिया कारी
है गरमी का मौसम
और तू रोज रोज
क्यों आ जा रही
बेटाईम आ आ के
भिगा रही
बरस जा रही
सबको ठंड लगा रही
जाडो़ भर तूने नहीं
बताया कि तू क्यों
नही बरसने
को आ रही
लगता है तू आदमी
को अपना
मूड दिखा रही
आदमी के
कर्मों का
फल उसको
दिला रही
पर तू ये भूल
क्यों जा रही
कि तेरे बदलने
से ही तो
आदमी की पौ
बारा हो जा रही
क्लाईमेट चेंज और
ग्लोबल वार्मिंग
के नाम पर
जगह जगह दुकानें
खुलते जा रही
जैसे ही नदी सूख
जाने की खबर
दी जा रही
तू शैतान बरस
के पानी से लबालब
करने क्यों आ रही
बदरिया जरा कुछ
तो बता जा री।