उलूक टाइम्स: सब्र
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बुधवार, 16 अक्टूबर 2013

बाअदब बामुलाहिजा होशियार सब्र कर जल्दी ही आ रहे हैं ठेकेदार


सरकार के 
एक खेत में उगी हुई 
सरकारी फसल 
उसको खुले आम चरते हुऐ 
सरकार के ही पाले पोसे 
गाय बैल घोड़े भेड़ बकरियां 

सरकार से 
पेट पालने के लिये मिली 
घास को नहीं खा रहे हैं 

अपने अपने 
खेतों में 
जा कर रख आ रहे हैं 
क्या करेंगे उसका 
किसी को कुछ भी नहीं बता रहे हैं 

बैल बैलों के साथ 
घोड़े घोड़ों के साथ नजर आ रहे हैं 

बकरियां और भेड़ें 
मेंमनो को झुनझुने थमा कर 
बहला रहे हैं 

खेत के मालिक लोग 
सरकार के पास पहुंच कर 
बड़ी पूजा करवाने का कुछ जुगाड़ लगा रहे हैं 

सरकार के
दूसरे 
खेत के किसान लोग
जो 
अपने खेतों में नहीं जा रहे हैं 
सरकार को काले चश्मे पहुंचाने का जुगाड़ लगा रहे हैं 

उजड़ते हुऐ 
खेत के किसानों को
मेडल 
दिलवाने के लिये
विपक्ष के लोगों को भी बहकाने में 
सफल होते नजर आ रहे हैं 

मजबूर सरकार क्या करेगी 
जिसको खुद डी कम्पनी के लोग चला रहे हैं 

खेत दर खेत में 
चल पड़ी है इसीलिये हवा एक जैसी 
हर जगह खेत वाले अपनी अपनी लहलहाती 
फसलों को खोदते जा रहे हैं 

कोई किसी से नहीं डर रहा है 
किसी को ऐ कम्पनी का भरोसा है
कोई डी कम्पनी तक 
सीधे अपनी भी पहुंच बता रहे हैं

‘उलूक’ 
और उसके ही जैसे कुछ
और 
बेवकूफ
डाल कर कान में अंगुली
आसमान को
ताकते 
नजर आ रहे हैं ।

चित्र सभार: https://simpsons.fandom.com/

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

मनमौजी

इधर चुपके से
बिना कुछ
किसी को बताये
जैसे पायलों को
अपनी कोई
हाथ में दबाये
बगल ही से
निकल जाये
अंदाज भी
ना आ पाये
छम छम की
ख्वाहिश में
खोऎ हुऎ
के लिये बस
एक मीठा सा
सपना हो जाये
उधर तन्हाई के
एक सौदागर
के सामने
छ्म्म से
आ जाये
जितना कर
सकती हो
उतना शोर मचाये
अपनी छोड़ कुछ
इधर उधर
की पायलें भी
लाकर बजाये
चूड़ियां छनकाये
काले सफेद को
कुछ ऎसा दिखाये
इंद्रधनुष बिल्कुल
फीका पड़ जाये
कोई प्यार
नहीं पढ़ता उसे
मोहब्बत पढ़ाये
कोई मुहब्बत
है करता
उसे ठेंगा दिखाये
बतायेगी क्या
कभी कुछ
किसी को 
तेरे को ये
सब करना
कौन सिखाये
सब्र की गोली
हम भी बैठे
हैं खाये
खूबसूरत
ऎ जिंदगी
समय ऎसा
शायद कभी
तो आये
थोड़ा सा
ही सही
तू कुछ
सुधर जाये ।