उलूक टाइम्स: गोली
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सोमवार, 14 अक्तूबर 2019

सागर किनारे लहरें देखते प्लास्टिक बैग लेकर बोतलें इक्ट्ठा करते कूड़ा बीनते लोग भी कवि हो जाते हैं


ना
कहना
आसान होता है

ना
निगलना
आसान होता है

सच
कहने वाले
के
मुँह
पर राम

और

सीने पर
गोलियों का
निशान होता है

सच
कहने वाला
गालियाँ खाता है

निशान
बनाने वाले का

बड़ा
नाम होता है

‘उलूक’
यूँ ही नहीं
कहता है

अपने
कहे हुऐ
को
एक बकवास

उसे
पता है

कविता
कहने
और
करने वाला
कोई एक
 खास होता है

अभी
दिखी है
कविता

अभी
दिखा है
एक कवि

 कूड़ा
समुन्दर
के पास
बीन लेने
वाले को

सब कुछ
सारा
माफ होता है

बड़े
आदमी के
शब्द

नदी
हो जाते हैं

उसके
कहने
से ही
सागर में
मिल जाते हैं

बेचारा
प्लास्टिक
हाथ में
इक्ट्ठा
किया हुआ
रोता
रह जाता है

बनाने
वालों के
अरमान

फेक्ट्रियों
के दरवाजों
में
खो जाते हैं

बकवास
बकवास
होती है

कविता
कविता होती है

कवि
बकवास
नहीं करता है

एक
बकवास
करने वाला

कवि
हो जाता है ।


चित्र साभार:
https://www.dreamstime.com/

रविवार, 14 जून 2015

कोशिश कर घर में पहचान महानों में महान



एक खेत 
सौ दो सौ किसान 
किसी का हल किसी का बैल 
बबूल के बीज आम की दुकान 

जवानों में
बस 
वही जवान 
जिसके पास एक से निशान 

बंदूकें जंग 
खाई हुई 
उधार की गोलियाँ 
घोड़े दबाने के लिये अपने छोड़ 
सामने वाले कंधे को पहचान 

मुँह में
रामायण 
गीता बाईबिल और कुरान 
हाथ में गिलास बोतल में सामान 

अपने मुद्दे मुद्दे 
दूसरे के मुद्दे बे‌ईमान 
घर में लगे तो लगे आग पानी ले चल रेगिस्तान 

‘उलूक’
बंद रख 
नाक मुँह और कान 
अपनी अपनी ढपली अपने अपने गान 
जय जवान जय किसान ।

चित्र साभार: cybernag.in

रविवार, 6 अप्रैल 2014

नहीं पड़ना ठीक होता है बीच में जहाँ कोई किसी और के आलू बो रहा होता है

सुना है कई कई बार
बहुतों ने कहा है
लिखा भी गया है
इस पार से उस पार
आज का नहीं बरसों
पुराना हो गया है
हर काम जो भी
होता है यहाँ कहीं
अल्ला होता है
किसी के लिये
ईसा होता हो 
या कोई भगवान
उसे कह देता है
यहाँ तक
किसी किसी का
शैतान तक
जैसा कहते हैं
कहीं पर सारी
जिम्मेदारियाँ
ले लेता है
ऐसा ही किसी की
रजामंदी होने का
जिक्र जरूर होता है
काम इस तरह
का भी कहीं और
कहीं उस तरह
का भी होता है
किसी को इस को
करने की आजादी
किसी को उस को
करने पर पाबंदी
किसी के लिये
आराम के एक
काम पर दूसरे के
सिर से पैर तक
डर ही डर
इस पहर से
लेकर उस पहर
तक होता है
फिर कोई क्यों
नहीं बताता
हमें भी
उलूक
तू किस लिये
बात को लेकर
सब कुछ इस
तरह से बेधड़क
लिख लेता है
उसकी सत्ता का झंडा
लहरा लहरा कर
अपनी सत्ता को
पक्का कर लेने का
खेल तो उसके ही
सामने सामने
से ही होता है
वो कर रहा
होता है वहाँ पर
जो भी करना होता है
तेरे बस में लिखना है
तू भी कुछ ना कुछ
लिख रहा होता है
पढ़ने वाले के लिये
ना तुझ में ना तेरे
चेहरे पर कुछ कहीं
दिख रहा होता है
अपने अपने ईश्वरों
के दरबार में
हर कोई दस्तक
दे रहा होता है
देश की सेहत को
कुछ नहीं होने
वाला होता है
जहाँ हर कोई
एक गोली गोल
गोल बना कर के
दे रहा होता है । 

सोमवार, 25 नवंबर 2013

मत बताना नहीं मानेंगे अगर कहेगा ये सब तू ही कह रहा था

पिछले
दो दिन 
से यहाँ दिखाई
नही दे रहा था

पता नहीं
कहाँ 
जा कर
किस को 
गोली
दे रहा था


खण्डहर में
उजाला 
नहीं
हो रहा था


दिये में बाती

दिख रही थी
तेल पता नहीं
कौन आ कर
पी रहा था

आसमान
नापने 
का
ठेका कहीं

हो रहा था

खबर सच है

या झूठ मूठ  
पता करने
के लिये

उछल उछल
कर 
कुँऐ की
मुंडेर 
छू रहा था

बाहर के उजाले

का क्या कहने
हर काला भी
चमकता हुआ
सफेद हो रहा था

किसी के आँखों में

सो रहे थे सपने
कोई सपने सस्ते 
में बेच कर भी
अमीर हो रहा था

सोच क्यों नहीं

लेता पहले से 
कुछ ‘उलूक
अपने कोटर से
बाहर निकलने
से पहले कभी

अपने और
अपनो के
अंधेरों में
तैरने के आदी
मंजूर नहीं करेंगे

सुबह होती
दिख रही थी कहीं
बहुत नजदीक से

और
वाकई में तू
देख रहा था

और
तुझे सब कुछ
साफ और
बहुत साफ
दिन के
उजाले सा
दिखाई भी
दे रहा था ।

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

मनमौजी

इधर चुपके से
बिना कुछ
किसी को बताये
जैसे पायलों को
अपनी कोई
हाथ में दबाये
बगल ही से
निकल जाये
अंदाज भी
ना आ पाये
छम छम की
ख्वाहिश में
खोऎ हुऎ
के लिये बस
एक मीठा सा
सपना हो जाये
उधर तन्हाई के
एक सौदागर
के सामने
छ्म्म से
आ जाये
जितना कर
सकती हो
उतना शोर मचाये
अपनी छोड़ कुछ
इधर उधर
की पायलें भी
लाकर बजाये
चूड़ियां छनकाये
काले सफेद को
कुछ ऎसा दिखाये
इंद्रधनुष बिल्कुल
फीका पड़ जाये
कोई प्यार
नहीं पढ़ता उसे
मोहब्बत पढ़ाये
कोई मुहब्बत
है करता
उसे ठेंगा दिखाये
बतायेगी क्या
कभी कुछ
किसी को 
तेरे को ये
सब करना
कौन सिखाये
सब्र की गोली
हम भी बैठे
हैं खाये
खूबसूरत
ऎ जिंदगी
समय ऎसा
शायद कभी
तो आये
थोड़ा सा
ही सही
तू कुछ
सुधर जाये ।