रोज के नौ
और
पाँच बजे के
सायरन
के अलावा
आज ग्यारह
और
ग्यारह
बज कर
दो मिनट
पर दो
बार बजे
सायरन के
बीच के
दो मिनट
सायरन
मौन रहा
श्रद्धांजलि
देता रहा
हर वर्ष
की तरह
सड़क पर
दौड़ती
गाड़ियाँ
करती रही
चुनाव प्रचार
बजाती
रही भोंपू
चीखता रहा
भाड़े का
उद्घोषक
श्रद्धा के साथ
अपने गांंधी
का चित्र
लगाये
अपने कोट
के बटन
के बगल में
गांंधी
कभी एक
हुआ होगा
आज कई
हो गये हैं
जीवित
गांंधी का
श्रद्धांजलि
देना
गाँधी को
गाँधियों की
सभा में
ध्वनिमत से
हाथ खड़े
कर पारित
भी नहीं
समय रहते
श्रद्धा के साथ
कर ही लेना
चाहिये अपना
श्राद्ध खुद ही
गया जाकर
शास्त्र
सम्मत है
‘उलूक’
हिचक मत
सायरन
ग्यारह
बजे का
कब तक
इसी
तरह बजेगा
दो मिनट
का मौन
रखते हुऐ
किस गांंधी
के लिये
कौन
जानता है ?
चित्र साभार: www.thehindubusinessline.com
और
पाँच बजे के
सायरन
के अलावा
आज ग्यारह
और
ग्यारह
बज कर
दो मिनट
पर दो
बार बजे
सायरन के
बीच के
दो मिनट
सायरन
मौन रहा
श्रद्धांजलि
देता रहा
हर वर्ष
की तरह
सड़क पर
दौड़ती
गाड़ियाँ
करती रही
चुनाव प्रचार
बजाती
रही भोंपू
चीखता रहा
भाड़े का
उद्घोषक
श्रद्धा के साथ
अपने गांंधी
का चित्र
लगाये
अपने कोट
के बटन
के बगल में
गांंधी
कभी एक
हुआ होगा
आज कई
हो गये हैं
जीवित
गांंधी का
श्रद्धांजलि
देना
गाँधी को
गाँधियों की
सभा में
ध्वनिमत से
हाथ खड़े
कर पारित
भी नहीं
समय रहते
श्रद्धा के साथ
कर ही लेना
चाहिये अपना
श्राद्ध खुद ही
गया जाकर
शास्त्र
सम्मत है
‘उलूक’
हिचक मत
सायरन
ग्यारह
बजे का
कब तक
इसी
तरह बजेगा
दो मिनट
का मौन
रखते हुऐ
किस गांंधी
के लिये
कौन
जानता है ?
चित्र साभार: www.thehindubusinessline.com