पहेलियाँ
बनायी नहीं जाती हैं
पहेलियां
बन जाती हैं
जरूरी नहीं है बूझना
आग लग रही हो
तो देखना भी जरूरी नहीं है
और जली
कभी भी बुझायी भी नहीं जाती हैं
जो मैं करता हूँ
उसकी बात
कहाँ कभी करता हूँ
जो तुम करते हो
तुमको पता होता है
तुम क्या करते हो
जो हम करते हैं
उसकी बात
करनी ही क्यों है
करने कराने से हमारे
किसे क्या करना है
तुम तुम्हारा
और हम हमारा
ही तो करते हैं
मैं कहता हूँ कुछ
और मैं कोशिश भी करता हूँ
कुछ करने की
उस करने को
लिखना भी आसान होता है
लिख देता हूँ
तुम्हारा
करना कराना
तुमको पता होता है
तुम्हारे लिखे में
खोजता हूँ किया हुआ
वो नहीं मिलता है कहीं
मैं खुद ही कहीं
तुम्हारे किये कराये में
खो लेता हूँ
नियम नियम होते हैं
बात करने के लिये ही होते हैं
करने कराने के समय
सारे ही बहुत कम होते हैं
कर लिया जाता है
करना भी चाहिये होता है
नियम लिखने लिखाने के लिये
बात करने के लिये
करने के समय बस
अपनी सोच अपना ही दिमाग होता है
सब कुछ पहेलियों में ही होता है
दिखाना और बताना
कुछ और ही होता है
पढ़ाना सबसे सरल होता है
कुछ भी पढ़ा लिया होता है
कौन सोचता है कौन देखता है
लिखने लिखाने और पढ़ने पढ़ाने का
अलग अलग देवता होता है
कविता शेरो शायरी
कहानियाँ छंद बंद या और कुछ
कहने के रास्तों में
कोई कहीं भी खड़ा नहीं होता है
‘उलूक’ तेरी बातें
बुलबुले जैसी
समझने वाला
कोई नहीं कहीं होता है
खुदा है और खुदा खुदा होता है
किस ने कह दिया
खुद में खुदा
और खुदा में खुद को खोजना होता है
सभी लिखते हैं लिखना भी चाहिये
कुछ सजीव ही
अजीब सा कुछ
लिखने लिखाने समझने समझाने का
हमेशा ही एक अजीब कायदा होता है
ना तेरा तेरे पास
ना मेरा मेरे पास
एक समय आता है हमेशा ही
कहीं भी किसी का कुछ भी
नहीं रहता है।
चित्र साभार: https://depositphotos.com
बनायी नहीं जाती हैं
पहेलियां
बन जाती हैं
जरूरी नहीं है बूझना
आग लग रही हो
तो देखना भी जरूरी नहीं है
और जली
कभी भी बुझायी भी नहीं जाती हैं
जो मैं करता हूँ
उसकी बात
कहाँ कभी करता हूँ
जो तुम करते हो
तुमको पता होता है
तुम क्या करते हो
जो हम करते हैं
उसकी बात
करनी ही क्यों है
करने कराने से हमारे
किसे क्या करना है
तुम तुम्हारा
और हम हमारा
ही तो करते हैं
मैं कहता हूँ कुछ
और मैं कोशिश भी करता हूँ
कुछ करने की
उस करने को
लिखना भी आसान होता है
लिख देता हूँ
तुम्हारा
करना कराना
तुमको पता होता है
तुम्हारे लिखे में
खोजता हूँ किया हुआ
वो नहीं मिलता है कहीं
मैं खुद ही कहीं
तुम्हारे किये कराये में
खो लेता हूँ
नियम नियम होते हैं
बात करने के लिये ही होते हैं
करने कराने के समय
सारे ही बहुत कम होते हैं
कर लिया जाता है
करना भी चाहिये होता है
नियम लिखने लिखाने के लिये
बात करने के लिये
करने के समय बस
अपनी सोच अपना ही दिमाग होता है
सब कुछ पहेलियों में ही होता है
दिखाना और बताना
कुछ और ही होता है
पढ़ाना सबसे सरल होता है
कुछ भी पढ़ा लिया होता है
कौन सोचता है कौन देखता है
लिखने लिखाने और पढ़ने पढ़ाने का
अलग अलग देवता होता है
कविता शेरो शायरी
कहानियाँ छंद बंद या और कुछ
कहने के रास्तों में
कोई कहीं भी खड़ा नहीं होता है
‘उलूक’ तेरी बातें
बुलबुले जैसी
समझने वाला
कोई नहीं कहीं होता है
खुदा है और खुदा खुदा होता है
किस ने कह दिया
खुद में खुदा
और खुदा में खुद को खोजना होता है
सभी लिखते हैं लिखना भी चाहिये
कुछ सजीव ही
अजीब सा कुछ
लिखने लिखाने समझने समझाने का
हमेशा ही एक अजीब कायदा होता है
ना तेरा तेरे पास
ना मेरा मेरे पास
एक समय आता है हमेशा ही
कहीं भी किसी का कुछ भी
नहीं रहता है।
चित्र साभार: https://depositphotos.com