उलूक टाइम्स: सूचना
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बुधवार, 13 सितंबर 2017

हजार के ऊपर दो सौ पचास हो गये बहुत हो गया करने के लिये तो और भी काम हैं

कुछ रोज के
दिखने से
परेशान हैं
कुछ रोज के
लिखने से
परेशान हैं
गली से शहर
तक के सारे
आवारा कुत्ते
एक दूसरे
की जान हैं

किस ने
लिखनी हैं
सारी
अजीब बातें
दिल खोल कर
छोटे दिल की
थोड़ा सा
लिख देने से
बड़े दिल
वाले हैरान हैं

बकरियाँ
कर गयी हैं
कल से तौबा
घास खाने से
खड़ी कर अपनी
पिछली टाँगे
एक एक की
एक नहीं कई हैं
घर में ही हैं
खुद की ही हैं
घास की दुकान हैं

पढ़ना लिखे को
समझना लिखे को
पढ़कर समझकर
कहना किसी को
नयी बात कुछ
भी नहीं है इसमें
आज की आदत है
आदत बहुत आम है

 कोई
शक नहीं
‘उलूक’
सूचना मिले
घर की दीवारों
पर चिपकी
किसी दिन
शेर लिखना
उल्लुओं का नहीं
शायरों का काम है ।

 चित्र साभार: Fotosearch

सोमवार, 24 अगस्त 2015

दलों के झोलों में लगें मोटी मोटी चेन बस आदमी आदमी से पूछे किसलिये है बैचेन

कंधे पर लटके हुऐ
खुद के कर्मों के
एक बेपेंदी के
फटे हुऐ झोले में
रोज अपने खाली
हाथ को डालना
मुट्ठी भर हवा
को पकड़ कर
हाथ को बाहर
निकालना
कुछ इधर फेंकना
कुछ उधर फेंकना
बाकी शेष कुछ हवा
को हवा में ऊपर
को उछालना
ये सोच कर
शायद
किसी को कुछ
नजर आ जाये
और लपक ले जाये
उस कुछ नहीं में से
कोई कुछ कुछ
अपने लिये भी
उस समय जब
भरे झोले वाले लोग
चाहना शुरु करें
कोई ना देखे
उनके झोले
कोई ना पूछे
किसके झोले
सूचना भरे झोलों
का आदान प्रदान
हो सके तो बस
बंद झोलों और
बंद झोलों के बीच
ही बिना किसी के
कहीं कोई जिक्र
किये हुऐ और
बाकी एक अरब से
ऊपर के पास के
झोलों के पेंदें रहें
फटे और खुले
ताकि बहती रहे
हवा नीचे से ऊपर
और ऊपर से नीचे
आसान हो
निकालना
हवा को हाथ से
मुट्ठी बांध कर
और चिल्लाना
भूखे पेट ही
इंकिलाब
जिंदाबाद
आर टी आई
मुर्दाबाद।

चित्र साभार: www.manofactionfigures.com