उलूक टाइम्स

बुधवार, 7 दिसंबर 2011

गौरैया

गौरैया
रोज की तरह
आज 
सुबह

चावल
के
चार दाने
खा के
उड़ गयी

गौरैया
रोज आती है

एक मुट्टी
चावल
से
बस चार दाने
ही
उठाती है

पता नहीं क्यों

गौरेया
सपने नहीं देखती
होगी शायद

आदमी
चावल के बोरों
की
गिनती करते
हुवे
कभी नहीं थकता

चार मुट्ठी चावल
उसकी किस्मत
में होना
जरूरी 
तो नहीं

फिर भी
अधिकतर
होते ही हैं
उसे मालूम है
अच्छी तरह

जाते जाते
सारी बंद मुट्ठियां
खुली रह जाती हैंं 

और
उनमें
चावल 
का
एक दाना
भी नहीं होता

गौरैया
शायद ये
जानती होगी ।