उलूक टाइम्स

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

बाबा

पत्रकार मित्र
कई दिन से
पाल रहे थे
अपने मन में
एक विचार
भारत में
फलते फूलते
बाबा बाजार
को देख कर
उत्साहित
हो रहे थे
दिन में एक
नहीं कई बार
किसी एक दिन
दुकान पर बैठे
अखबारी मित्र
से कर रहे थे
मगन हो कर
इसी विषय पर
कुछ विचार

भूला भटका
पहुँच बैठा 

मैं भी उधर
पूछते पूछते
कटहल का
मीठा अचार
पहुंचते ही मेरे
मित्र के मित्र ने
मेरा किया
ऊपर से नीचे
तक मुआयना
और
पेश किया
फिर
तुरत फुरत
अपना विचार
ये कब हो
रहे हैं रिटायर
इनसे भी तो
काम चलाया
जा सकता है
एक सटीक
और मस्त बाबा
इनको भी
तो बनाया
जा सकता है

बस ये जबान
नहीं खोलेंगे
बाकी जनता
को तो हम
खुद ही धो लेंगे
मित्र ने
दिया जवाब
बहुत ही
लाजवाब
रिटायर होने
की प्रक्रिया
इन लोगों के
यहाँ धीरे धीरे
बंद ही हो
जाने वाली है
अभी ये पैंसठ
पर अढ़े हुवे हैं
उसके बार मरने
मरने तक की
जाने वाली है

अभी सरकार
से बोल रहे हैं
नहीं होंगे रिटायर
उसके बाद
भगवान की भी
बारी आने वाली है
भगवान से भी
ये कहने वाले हैं
तू हमे नहीं
उठा सकता
इस धरती से अभी
हम ऊपर नहीं
आने वाले हैं
वैसे भी बाबा
के कारोबार
और
इनकी दुकान
में मिलता है
एक तरह का
ही सामान
ये पढ़ाने लिखाने
के धंधे से
अनपढों को पैदा
करते जा रहे हैं
उधर इनकी
उगाई फसल से
बाबा लोग अपनी
फैक्ट्री चला रहे हैंं 
मेरी समझ में
भी कुछ कुछ
आने लगा था
विचार मित्र
का धीरे धीरे
पैठ मन में
बनाने लगा था

क्या नुकसान है
अगर मैं बाबा
भी बन जाता हूँ
कालेज में
वैसे भी
कक्षा में
जा कर भी
कहाँ कुछ
पढ़ा पाता हूँ
हाँ
अखबार वालोंं
बुला बुला कर
फोटो जरूर
छपवाता हूँ
बाबा बन जाउंगा
तो सारे काम
अपने आप ही
होते चले जायेंगे
मित्र लोग मेरे
मेरे लिये भीड़
को जुटवायेंगे
पत्रकार हैं तो
फोटो के लिये
भी किसी को
बुलाना
नहीं पड़ेगा
मौन रहना ही है
इशारे से 

ही काम
चलाना पड़ेगा

चल पड़ी
तो विदेश
जाने का
मौका भी
बिना कुछ
करे कराये
चुटकियों में
हासिल
हो जायेगा
वीसा पास्पोर्ट
कोई बेवकूफ
बना बनाया
लाकर बिना
पैसे का
हाथ में
दे जायेगा

ढोंगी बाबा
'उलूक'
तुम भी यहीं
हम भी यहीं
देख भी लेना
हाँका लगाने
वाला मदारी
प्रिय जमूरों
की खातिर
बाबा उद्योग
का अध्यादेश
आज नहीं तो
कल किसी दिन
ले कर आयेगा
और
पक्का आयेगा।


चित्र साभार: www.jagran.com