नदी है नावें है बारिश है बाढ़ है
नावें पुरानी हैं छेद है पानी है
नावें पुरानी हैं छेद है पानी है
पतवार हैं हजार हैं
पार जाने को हर कोई भी तैयार है
बैठने को पूछना नहीं है कुर्सियों की भरमार है
गंजे की कंघी है
सपने के बालों को रहा संवार है
लाईन है दिखानी है
पीछे के रास्ते पूजा करवानी है
बारी का करना नहीं इंतजार है
नियम हैं कोर्ट है
कचहरी है वकील हैं
दावे हैं वादे हैं वाद हैं परिवाद हैं
फैसला करने को न्यायाधीश तैयार है
भगवान है पूजा है मंत्र हैं पंडित है
दक्षिणा माँगने का भी एक अधिकार है
पढ़ना है पढ़ाना है स्कूल जरुरी जाना है
सीखने सिखाने का बाजार गुलजार है
धोती है कुर्ता है झोला है लाठी है
बापू की फोटो है
मास्साब तबादले के लिये
पीने पिलाने को खुशी खुशी तैयार है
पीने पिलाने को खुशी खुशी तैयार है
‘उलूक’ के पास काम नहीं कुछ
अड़ोस पड़ोस की चुगली का
बना लिया व्यापार है ।