उलूक टाइम्स

सोमवार, 9 जुलाई 2012

सुझाव

पहले खुद ही
पेड़ और पौंधे
घर के आसपास
अपने लगाता है
फिर बंदर आ गये
बंदर आ गये
भी चिल्लाता है
किसने कहा था
इतनी मेहनत कर
अपने लिये खुद
एक गड्ढा तैयार कर
कटवा क्यों नहीं देता
सब को एक साथ
पैसा आ जायेगा बहुत
तेरे दोनो हाथ
जमीन भी खाली
सब हो जायेगी
ये अलग बात
वो अलग से तुझको
नामा दिलवायेगी
फिर सुबह पीना
शाम को पीना
मौज में सारी
जिंदगी तू जीना
पढ़ा लिखा है बहुत
सुना है ऎसा
बताया भी जाता है
फिर क्यों पर्यावरण
वालों के सिखाये
में तू आता है
थोड़ा सा अपनी
बुद्धी क्यों नहीं
कभी लगाता है
बंदर भी औकात में
अपनी आ जायेंगे
जब पेड़ ही
नहीं रहेंगे कहीं
तो क्या खाक
हवा में उड़कर
इधर उधर जायेंगे
कुछ समझा कर
बेवकूफी इतनी
तो ना कर
अभी भी सुधर जा
हमारी जैसी सोच
अपनी भी बना
बहुमत के साथ
अगर आयेगा
तो जीना भी
सीख जायेगा
कम से कम
बंदरों का
मुकाबला कर
ले जायेगा
मौका मिल
गया कभी तो
देश चलाने
वालों में शायद
कहीं से
घुस जायेगा
किस्मत फूट
गयी खुदा
ना खास्ता
कभी तेरी
तो क्या पता
भारत रत्न
ही तू कहीं से
झपट लायेगा।