उलूक टाइम्स: बातें बनाने तक की बात है चल ही जाती हैं नहीं चलती है तो फौज लगा कर चला दी जाती हैं

सोमवार, 19 अक्टूबर 2015

बातें बनाने तक की बात है चल ही जाती हैं नहीं चलती है तो फौज लगा कर चला दी जाती हैं

 
बातें कितनी भी बना ली जायें
लगता है अभी कुछ ही कहा गया है
बहुत कुछ है जो बचा हुआ रह गया है

जल की इतनी बूँदें होती
और जमा हो गई होती
जलजला ला देती बहा देती
बहुत कुछ छोड़ दिया जाता 
समय के साथ बहने के लिये अगर

फिर लगता है
बातें भी बूँद बूँद ही जमा होती हैं
जैसी जगह मिले उसी की जैसी हो लेती हैं

सामंजस्य हो बात का बात के साथ 
जरूरी नहीं होता है
कुछ बातें खुद ही तरतीब से लग जाती हैं
कुछ अपने ही आप 
एक दूसरे पर चढ़ जाती हैं
निकलना चाहती हैं अंदर से बाहर
बेतरतीबी से ऊँची नीची सोच के साथ
उसी सोच पर चढ़ कर या उतर कर

आसान भी नहीं होता है बाँधें रखना
या फिर यूँ ही छोड़ देना बातों की नकेल को

बातें एक साथ अगर कह भी दी जाती हैं
बाढ़ फिर भी नहीं कभी आ पाती है

बातें पानी की तरह बह तो जाती हैं
पर दूर तक कहीं भी नजर नहीं आती हैं

उनके निशान भी समय की रेत पर खो जाते हैं
सबके बस में 
नहीं होता है जमा किये रहना बातों को
कुछ बहा देते हैं 
यूँ ही कहीं भी बातों को बातों ही बातों में

बातों के बादल भी नहीं बनते हैं
बात बात में फटते भी नहीं हैं
बातें निचोड़नी पड़ती हैं
कुछ पीनी पड़ती हैं कुछ जीनी पड़ती हैं

बात तो तब बनती है जब कोई बात
बहुत ही धीरे धीरे हौले हौले से
बात की बात में बातों के बीच छोड़ दी जाती है

कब काट जाती है कब फाड़ जाती है
कब कहाँ किस को चीर जाती है
उसके बाद मटकती उछलती चल देती है
हर जगह जा जा कर नाच दिखाती है

देखते रह जाते हैं बातें बनाने वाले
उनकी खुद की कही बात 
उन्हीं को लपेट ले जाती है

‘उलूक’ जानता है बहुत अच्छी तरह
सबसे अच्छी बात ऐसी ही एक बात होती है
जो किसी के भी 
समझ में कभी भी नहीं आ पाती है

बातें बनाना वैसे भी किसी को भी
कहीं भी नहीं सिखाया जाता है

बातें तो बात ही बात में
यूँ ही चुटकी में बना दी जाती हैं
मुश्किल तब होती है
जब बातों में से ही एक बात
च्यूइंगम हो जाती है ।

चित्र साभार: www.shutterstock.com

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्‍तुति।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (21-10-2015) को "आगमन और प्रस्थान की परम्परा" (चर्चा अंक-2136) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. बात से बात चली,और एक और बात बन गयी
    बहुत कुछ बात कही,फिर भी बात की बात रह गयी.

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द रविवार 08 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  5. बातें तो बात ही बात में
    यूँ ही चुटकी में बना दी जाती हैं
    मुश्किल तब होती है
    जब बातों में से ही एक बात
    च्यूइंगम हो जाती है ।
    बेहतरीन रचना 🙏

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  6. बातें तो बात ही बात में.... कहां से कहां तक पहुंच गई।
    बहुत सुन्दर रचना।

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