उलूक टाइम्स: रोम से क्या मतलब नीरो को अब वो अपनी बाँसुरी भी किसी और से बजवाता है

शनिवार, 6 नवंबर 2021

रोम से क्या मतलब नीरो को अब वो अपनी बाँसुरी भी किसी और से बजवाता है

 


सब कुछ समेटने के चक्कर में बहुत कुछ बिखर जाता है
जमीन पर बिखरी धूल थोड़ी सी उड़ाता है खुश हो जाता है

आईने पर चढ़ी धूल हटती है कुछ चेहरा साफ नजर आता है
खुशफहमियाँ बनी रहती हैं समय आता है और चला जाता है

दिये की लौ और पतंगे का प्रेम पराकाष्ठाओं में गिना जाता है
दीये जलते हैं पतंगा मरता है बस मातम नजर नहीं आता है

झूठ एक बड़ा सा हसीन सच में गिन लिया जाता है
लबारों की भीड़ के खिलखिलाने से भ्रम हो जाता है

पर्दे में रखकर खुराफातें अपनी एक होशियार खुद कभी आग नहीं लगवाता है
रोम से क्या मतलब नीरो को अब वो अपनी बाँसुरी भी किसी और से बजवाता है

कोई कुछ कर ले जाता है
कोई कुछ नहीं कर पाता है तो कुछ लिखने को चला आता है
कुछ समझ ले कुछ समझा ले खुद को ही ‘उलूक’
हर बात को किसलिये यहां रोने चला आता है ।

चित्र साभार: https://www.gograph.com/

14 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
    (7-11-21) को भइयादूज का तिलक" (चर्चा अंक 4240) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा


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  2. बहुत बढ़िया इस बार आपने शब्दों को नऐ अन्दाज़ में पिरोया है, आदरणीय शुभकामनाएँ

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  3. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. वाक़ई पतंगों के मरने का मातम नहीं बल्कि उनकी मौत को महिमामंडित कर दिया जाता है!कुदरत सिखाना कुछ चाहती है और सीख कुछ और लिया जाता है

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  5. गज़ब आपकी दृष्टि को नमन।
    सटीक अभिव्यक्ति।
    सादर।

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  6. दिये की लौ और पतंगे का प्रेम पराकाष्ठाओं में गिना जाता है
    दीये जलते हैं पतंगा मरता है बस मातम नजर नहीं आता है
    ... दिए और पतंगों के माध्यम से बहुत कुछ कहती सुंदर रचना ।

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  7. दीये जलते हैं पतंगा मरता है बस मातम नजर नहीं आता है

    झूठ एक बड़ा सा हसीन सच में गिन लिया जाता है
    वाह!!!
    एकदम सटीक...
    बहुत ही लाजवाब सृजन।

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  8. नीरो अब बांसुरी नहीं बल्कि गाल बजाता है और पैसे दे कर भाड़े के भक्तों से तालियाँ बजवाता है.

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  9. आईने की धूल हट्टे ही चेहरा साफ़ दीखता है और उसकी झुर्रियां भी ... चालाकी भी ...
    धूल पड़े रहे तो अच्छी है ...

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