सब कुछ समेटने के चक्कर में बहुत कुछ बिखर जाता है
जमीन पर बिखरी धूल थोड़ी सी उड़ाता है खुश हो जाता है
आईने पर चढ़ी धूल हटती है कुछ चेहरा साफ नजर आता है
खुशफहमियाँ बनी रहती हैं समय आता है और चला जाता है
दिये की लौ और पतंगे का प्रेम पराकाष्ठाओं में गिना जाता है
दीये जलते हैं पतंगा मरता है बस मातम नजर नहीं आता है
झूठ एक बड़ा सा हसीन सच में गिन लिया जाता है
लबारों की भीड़ के खिलखिलाने से भ्रम हो जाता है
पर्दे में रखकर खुराफातें अपनी एक होशियार खुद कभी आग नहीं लगवाता है
रोम से क्या मतलब नीरो को अब वो अपनी बाँसुरी भी किसी और से बजवाता है
कोई कुछ कर ले जाता है
कोई कुछ नहीं कर पाता है तो कुछ लिखने को चला आता है
कोई कुछ नहीं कर पाता है तो कुछ लिखने को चला आता है
कुछ समझ ले कुछ समझा ले खुद को ही ‘उलूक’
हर बात को किसलिये यहां रोने चला आता है ।
हर बात को किसलिये यहां रोने चला आता है ।
चित्र साभार: https://www.gograph.com/
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
(7-11-21) को भइयादूज का तिलक" (चर्चा अंक 4240) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
वाह।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया इस बार आपने शब्दों को नऐ अन्दाज़ में पिरोया है, आदरणीय शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंवाक़ई पतंगों के मरने का मातम नहीं बल्कि उनकी मौत को महिमामंडित कर दिया जाता है!कुदरत सिखाना कुछ चाहती है और सीख कुछ और लिया जाता है
जवाब देंहटाएंगज़ब आपकी दृष्टि को नमन।
जवाब देंहटाएंसटीक अभिव्यक्ति।
सादर।
जवाब देंहटाएंदिये की लौ और पतंगे का प्रेम पराकाष्ठाओं में गिना जाता है
दीये जलते हैं पतंगा मरता है बस मातम नजर नहीं आता है
... दिए और पतंगों के माध्यम से बहुत कुछ कहती सुंदर रचना ।
दीये जलते हैं पतंगा मरता है बस मातम नजर नहीं आता है
जवाब देंहटाएंझूठ एक बड़ा सा हसीन सच में गिन लिया जाता है
वाह!!!
एकदम सटीक...
बहुत ही लाजवाब सृजन।
सटीक और सुंदर
जवाब देंहटाएंKya baat hai, badi hi achhi line likhi hai apne thanks,
जवाब देंहटाएंZee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
नीरो अब बांसुरी नहीं बल्कि गाल बजाता है और पैसे दे कर भाड़े के भक्तों से तालियाँ बजवाता है.
जवाब देंहटाएंआईने की धूल हट्टे ही चेहरा साफ़ दीखता है और उसकी झुर्रियां भी ... चालाकी भी ...
जवाब देंहटाएंधूल पड़े रहे तो अच्छी है ...