सारे काले कौवे
सारे कहना ठीक नहीं
बहुत सारे कहें ज्यादा अच्छा है
बहुत सारे भी कहें
फिर भी प्रश्न उठता है
कितने सारे
एक झुण्ड ढेर सारे कौवों का
नीले आसमान में
कांव कांव से गुंजायमान करता
हर दिशा को
क्या दिशाहीन कहा जाएगा
नहीं
झुण्ड का कौआ नाराज नहीं हो जाएगा
हर किसी काले के लिए संगीतमय है
ये शोर नहीं है
ये तो समझा करो यही भोर है
एक चमगादड़ उल्टा लटका हुआ
कोने में अपने खंडहर के किसी
सोच रहा पता नहीं क्यों
बस मोर है
मोर कहां झुण्ड में रहते हैं
मस्त रहते हैं नाचते गाते पंख फैलाते
गला मिला कर
करते नहीं ज़रा सा भी शोर हैं
करते नहीं ज़रा सा भी शोर हैं
इतने सारे कौवे
इतनी सारी कांव कांव
कोशिश करने की
उसी तरह की कुछ आवाजें
चमगादड़ का
फिसल जैसा रहा है पाँव पाँव
इतनी सारी कांव कांव
कोशिश करने की
उसी तरह की कुछ आवाजें
चमगादड़ का
फिसल जैसा रहा है पाँव पाँव
साहित्यकारों की कारें
सारी की सारी बीच सड़क पर
कदमताल करती
समानांतर कौवों के साथ जैसे उड़ती
सारी की सारी बीच सड़क पर
कदमताल करती
समानांतर कौवों के साथ जैसे उड़ती
सब संगीतमय सब गीतमय
ता धिन धिन ना ता तिरकट
अरे अरे कट कट
चित्र पूरा हुआ
चित्रमय हो चली सारी धरती
ता धिन धिन ना ता तिरकट
अरे अरे कट कट
चित्र पूरा हुआ
चित्रमय हो चली सारी धरती
‘उलूक’ बकवासी
लेता आधी नींद से उठा जैसा
आधी कुछ बेसब्री सी उबासी
लेता आधी नींद से उठा जैसा
आधी कुछ बेसब्री सी उबासी
कुछ भीड़ कुछ भेड़ें
कुछ कौवे कुछ कबूतर
हर तरफ अफरा तफरी
कुछ कौवे कुछ कबूतर
हर तरफ अफरा तफरी
किसको खबर कौन बेखबर
दुनियां नई
नई दुल्हन कहीं
कहीं कौवों के झुण्ड
निमंत्रण देते हैं सबके
कांव कांव कर देने के
अभिलाषी |
दुनियां नई
नई दुल्हन कहीं
कहीं कौवों के झुण्ड
निमंत्रण देते हैं सबके
कांव कांव कर देने के
अभिलाषी |
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
कौओं के झुंड में शामिल होना जरूरी थोडी है। भेड़चाल या क़दमताल निमंत्रण स्वीकार करना जरूरी थोडी है।
जवाब देंहटाएंप्रणाम सर
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १६ जनवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
दुनियां नई
जवाब देंहटाएंनई दुल्हन कहीं
कहीं कौवों के झुण्ड
निमंत्रण देते हैं सबके
कांव कांव कर देने के
अभिलाषी |
बेहतरीन रचना 🙏
मोर सावन में बादल को देख पुकार लगाते हैं, कौए हर मौसम के राजा हैं
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएं‘उलूक’ बकवासी
जवाब देंहटाएंलेता आधी नींद से उठा जैसा
आधी कुछ बेसब्री सी उबासी
कुछ भीड़ कुछ भेड़ें
कुछ कौवे कुछ कबूतर
हर तरफ अफरा तफरी
किसको खबर कौन बेखबर
आभार
सादर वंदे
निमंत्रण ही तो मुद्दा है
जवाब देंहटाएंदो तो मुद्दा,ना दो तो और बड़ा मुद्दा
निमंत्रण स्वीकारना भी एक मुद्दा और न स्वीकारना तो कई मुद्दे....
अब कौए काँव करें मा मोर बासे...
फिलहाल उलूक की नजर पैनी
वाह!!!
लाजवाब 🙏🙏🙏
कुछ भीड़ कुछ भेड़ें
जवाब देंहटाएंकुछ कौवे कुछ कबूतर
हर तरफ अफरा तफरी
किसको खबर कौन बेखबर
जिसको खबर वो जाग चुका है जो बेखबर है समझों अब भी सोया है,
हमेशा की तरह कुछ अलग,सादर नमस्कार सर 🙏
सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंवाह! लाजवाब ..
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