उल्लू के अखबार में छपे सफ़ेद ही समाचार
काले पढ़ नहीं पाते कुछ गोरे डालें बस अचार
काला काला देखता सफ़ेद देखता एक के चार
इन्द्रधनुष छुट्टी ले बैठा बंद कर पानी की बौछार
मतलब लिखता बेमतलब का रोज बजाता पौने चार
किसने पढ़ना किसने गुनना पत्ते खेल रहे सरकार
जोकर के हाथों में सब कुछ इक्के गुलाम बादशाह बेकार
याद करें कुछ बाराहखडी कुछ करें दिन फिरने का इंतज़ार
फिर से फिर फिर आयेंगे अच्छे दिन बारम्बार हर बार
खींच तान कर नींद निकालो चिन्ता चिता मान कर यार
लिख कर मिटा मिटा कर लिख रेत रेत सपने हजार
रोज पढ़े फिर याद करे ‘उलूक’ उल्लू का अखबार
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 04 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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बेहतरीन
जवाब देंहटाएंअरे गज़ब...
जवाब देंहटाएंखरी-खरी सुनाए काले अक्षर चार,
बहुत लाज़वाब उल्लू का अखबार।
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प्रणाम सर
सादर।
अनेक बार पढ़ना अच्छा लगा...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढियां
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