सारी खिडकियों पर परदे खींच लेना
और देख लेना
और देख लेना
कहीं किसी झिर्री से
घुसने की कोशिश ना कर रही हो रोशनी
फिर इत्मीनान से बैठ कर
उजाले पर एक कविता लिखना
लिखना
बंद कर के किताबें सारी
कोई एक किताब
जिसके सारे पन्नो पर लिखा हो हिसाब
हिसाब ऐसा नहीं
जिसे समझना हो किसी को
जिसे समझना हो किसी को
हिसाब ऐसा ना हो
जिससे पता चल रहा हो
जिससे पता चल रहा हो
खर्च किये गए रुपिये पैसे
या हिसाब
किसी रेजगारी को नोटों में बदलने का
किसी रेजगारी को नोटों में बदलने का
वो सब लिख देना
जिसे किसी ने कहीं भी
नजरअंदाज कर देना हो पढ़ लेने से
साथ में लिखना
कुछ प्रश्न खुद से पूछे गए
जिसका उत्तर पता नहीं हो किसी को भी
ऐसी सभी बातें
नोट कर लेना किसी नोट बुक में
और जमा करते चले जाना
सूरज पर लिखना चाँद पर लिखना
तारों और गुलाब पर लिखना
नशे पर लिखना शराब पर लिखना
खबरदार
वो कुछ भी कहीं मत लिखना
जो हो रहा हो तेरे आसपास
तेरे घर में तेरे पड़ोस में
तेरे शहर में तेरे जिले में तेरे प्रदेश में
और तेरे बहुत बड़े से
रोज का रोज और बड़े हो रहे देश में
रोज लिखना
लाल गुलाब हरे पेड़ सुनहरे सपने
या
कुछ गुलाबजामुन
या
कुछ भी ऐसा
कुछ गुलाबजामुन
या
कुछ भी ऐसा
जो भटका सके लिखने को
लेखकों को और छापने वालों को
उस सब पर
लेखकों को और छापने वालों को
उस सब पर
जो लिखा हुआ हो इधर उधर किधर किधर
गली गली शहर शहर
‘उलूक’ रातें अच्छी होती हैं
और वो आँखें भी
जो रात के अन्धेरें में
कोशिश करती है देखने की रोशनी
कोशिश करती है देखने की रोशनी
उन सब से
जो दिन के उजाले में रोशनी पीटते हैं |
जो दिन के उजाले में रोशनी पीटते हैं |
चित्र साभार: https://www.gettyimages.in/
सुंदर सार्थक प्रतीकात्मक शैली में लिखी समसामयिक रचना सादर
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 03 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
कृपया गुरुवार को शनिवार पढ़ें। सधन्यवाद।
हटाएंबहुत सुंदर रचना । सचमुच अद्भुत
हटाएंक्या लिखूँ सच लिखूँ झूठ लिखूँ कविता को पढ़ा नही
जवाब देंहटाएंसमझ को रखा था बंद कह दूँ तो कविता समझा नही
तारीफ न कोई सरहना करूँगा प्रयास करूँगा मैं भी
खिडकी दरवाजे खोलकर उजाले को लिखूँगा मैं भी।।
वाह! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंरातें अच्छी होती हैं
जवाब देंहटाएंऔर वो आँखें भी
जो रात के अन्धेरें में
कोशिश करती है देखने की रोशनी
बहुत सुन्दर सृजन ।
होली पर्व की शुभकामनाएँ सर 🙏
हटाएंवो कुछ भी कहीं मत लिखना
जवाब देंहटाएंजो हो रहा हो तेरे आसपास
तेरे घर में तेरे पड़ोस में
तेरे शहर में तेरे जिले में तेरे प्रदेश में
और तेरे बहुत बड़े से
रोज का रोज और बड़े हो रहे देश में
सत्य लिखा आपने, सादर नमस्कार सर 🙏
सूरज पर लिखना चाँद पर लिखना
जवाब देंहटाएंतारों और गुलाब पर लिखना
नशे पर लिखना शराब पर लिखना
खबरदार
वो कुछ भी कहीं मत लिखना
जो हो रहा हो तेरे आसपास
तेरे घर में तेरे पड़ोस में
तेरे शहर में तेरे जिले में तेरे प्रदेश में
और तेरे बहुत बड़े से
रोज का रोज और बड़े हो रहे देश में
अंधेरे में बैठ रोशनी लिखने वाले सूरज चांद गुलाब शराब ही लिखें तो बेहतर है...।
घर पड़ोस शहर और देश लिखना है तो उलूक दृष्टि चाहिए ...
लाजवाब सृजन ।
बड़ी ही उम्दा अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजागते रहो ! जगाते रहो ! नमस्ते जोशी जी.
जवाब देंहटाएंइस काल में कुछ भी लिखा जाएँ : कानों पर जूँ नहीं रेंगती है ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब जोशी जी, साथ में लिखना
जवाब देंहटाएंकुछ प्रश्न खुद से पूछे गए
जिसका उत्तर पता नहीं हो किसी को भी..स्वयं को खंगालती रचना...वाह
उजाला रोक कर उजाले पे कविता ... क्या कमाल करते हैं आप ...
जवाब देंहटाएंवो कुछ भी कहीं मत लिखना
जवाब देंहटाएंजो हो रहा हो तेरे आसपास
तेरे घर में तेरे पड़ोस में
तेरे शहर में तेरे जिले में तेरे प्रदेश में
और तेरे बहुत बड़े से
रोज का रोज और बड़े हो रहे देश में
Waah! sochne par majboor karne wali rachana, behad pasand aayi! Sadar pranaam!!!
वाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह !! बेहद प्रभावशाली लेखन, वाक़ई उजाले को महसूस करके उजाले पर लिखा जाये तभी सार्थक है, और अंधेरों को चीर कर रोशनी की एक लकीर ढूँढ लाना उससे भी ज़्यादा !
जवाब देंहटाएंअति सुंदर
जवाब देंहटाएंवाकई जो दिन के उजाले में रोशनी पीटते हैं, रातें उनसे अच्छी होती हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत प्रासंगिक लिखते हैं आप। सादर प्रणाम आपको ।
बहुत बहुत सराहनीय रचना
जवाब देंहटाएंकमाल की रचना
जवाब देंहटाएंबधाई
लेखन के संदर्भ में "हिसाब" का क्या अर्थ है, और लेखक इस बात पर जोर क्यों देता है कि "हिसाबऐसानाहो"? visit Telkom University
जवाब देंहटाएंबकवास करने को लेखन नहीं कहते हैं और पाठक हिसाब समझ लेते हैं आप कौन सा पाठक हो? :)
हटाएंबहुत सुन्दर रचना। एक बार पढ़ा, दुबारा पढ़ा, एक बार फिर पढ़ा, फिर भी शायद इसकी गहराइयों तक ना पहुंच पाई।
जवाब देंहटाएंलाजवाब।