तुम तो पीछे ही पड़ गये दिनों के
दिन तो दिन होते हैं
अच्छे और बुरे नहीं होते हैं
अच्छी और बुरी तो सोच होती है
उसी में कुछ ना कुछ
कहीं ना कहीं कोई लोच होती है
सब की समझ में सब कुछ
अच्छी तरह आ जाये
ऐसा भी नहीं होता है
आधी दुनियाँ में उधर रात
उसके इधर होने से नहीं होती है
इधर की दुनियाँ में दिन होने से
रात की बात नहीं होती है
किसी से
नाँच ना जाने आँगन टेढ़ा
कहना भी
बहुत अच्छी बात नहीं होती है
बहुत अच्छी बात नहीं होती है
पहले ही
पूछ लेने की आदत ही
पूछ लेने की आदत ही
सबसे अच्छी एक आदत होती है
जो हमेशा
भले लोगों की
भले लोगों की
हर भली बात के साथ होती है
लंगड़ा कर
यूँ ही शौक से
यूँ ही शौक से
नहीं चलना चाहता है कोई भी कभी भी
सोच में
नहीं होती है
नहीं होती है
दायें या बाँयें पाँव में से
किसी एक में कहीं थोड़ी बहुत
मोच पड़ी होती है
अच्छा अगर
नहीं
दिख रहा होता है सामने से कहीं
नहीं
दिख रहा होता है सामने से कहीं
कहीं ना कहीं
रास्ते में होती है
उस अच्छे की गाड़ी
और
थोड़ा सा
लेट हो रही होती है
थोड़ा सा
लेट हो रही होती है
दिन तो
दिन होते हैं
दिन होते हैं
अच्छे और बुरे नहीं होते हैं
किस्मत
भी होती है
भी होती है
भेंट नहीं हो पा रही होती है
वैसे भी
सबके
एक साथ नहीं होते हैं
एक साथ नहीं होते हैं
जिसके हो चुके होते है
'उलूक'
उसके
अगली बार तक
तो
होने भी नहीं होते हैं ।
अगली बार तक
तो
होने भी नहीं होते हैं ।
चित्र साभार: www.clipartsheep.com