उलूक टाइम्स: अल्लाह
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बुधवार, 17 सितंबर 2025

राम को लिखते हैं खत बस एक डाकखाना नहीं मिलता

 


तेरे लिखे हुए में अपना अक्स नहीं मिलता  
और अपने लिखे हुए में आईना नहीं मिलता  
ख्वाहिश देखने की खुद को अपने हिसाब से अपनी
कहीं भी देखो खुद का चेहरा खुद से नहीं मिलता  

क्या क्या लिखे और कितना लिखे लिखने वाला  
मौजूँ के ढेर हैं और गिनतियां अंगुलियों के पोरों पर
जोड़ने घटाने में लिखे को लिखे लिखाए के पैमाने में
कलम को कागज पे चलाने का बहाना नहीं मिलता

रोज आते हैं अपने अपने रास्ते से यहां आदतन सभी
अपने रास्ते पर आने जाने का नाम और निशाना नहीं मिलता
वो खुदा में मसरूफ़ हैं इन्हें अल्लाह नहीं मिलता
ये राम को लिखते हैं खत बस एक डाकखाना नहीं मिलता

पुरानी आदत है तेरी बक बकाने की उलफ़त में ‘उलूक’
तू भी गा जन्मदिन मना केक खाएगा तेरे साथ में जमाना
नहीं लिखेगा अपने लिखे लिखाए में आबोदाना नहीं मिलता

चित्र साभार: https://www.istockphoto.com/  

मंगलवार, 29 जुलाई 2025

मगर आज गांधी खुद अपनी ही लकड़ी लेकर भी खड़ा हो नहीं पाता है



लिखने में खुद के भगवान फूंकता है
और वो पसर भी जाता है
कोई ढूंढे मशाल ले कर के इंसान
मगर दूर तक नजर नहीं आता है

बड़ी शिद्दत से लिख कर
शब्दों में आईने उतार लाता है
अफसोस उसका खुद का चेहरा
कलम की रोशनाई में डूबा रह जाता है

दर्द गम खुशी सब होते हैं
लबालब भी होते हैं और छलकते भी हैं
अपने हिसाब से समय देखकर
लिखने वाले के बटुवे में
आंख कान मुंह ही केवल
और केवल बंद नजर आता है

पाठक का अपना ही होता है ईश्वर
पढ़ते समय वो अपने  साथ ले 
ही आता है
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान
गाने के बोल लब से फिसलते हैं मगर
आज गांधी खुद अपनी ही लकड़ी लेकर भी
खड़ा हो नहीं पाता है

इतनी बेशर्मी भी अच्छी नहीं ‘उलूक’
जब समझना सब कुछ के बाद भी
नासमझी से
झूठ की वैतरणी को पार किया जाता है | 

चित्र साभार: https://in.pinterest.com/

गुरुवार, 5 जुलाई 2012

बोसोनीश्वर

भगवान के
सुना है
करीब पहुँच
गया है
धरती का
इंसान

उसके एक
सूक्ष्म कण
की खोज
ने बना दिया
यह काम
बहुत आसान

इन कणों के
कारण ही
पदार्थ के
कणों में
वजन आ
जाता है

प्रकृति को
समझने
के लिये
इस तरह
एक नया
रास्ता
सामने नजर
आता है

कण कण में
हैं भगवान
घर में
अपने
बच्चों को
हर इंसान
बताता है

मैं ही ब्रह्म हूँ
का अर्थ
यहीं पर ही
थोड़ा सा
समझ हमारे
भी आ पाता है

हिग्स बोसोन
की खोज में
जब भारत
के वैज्ञानिक
श्री सतेन्द्र नाथ बोस
का नाम भी
जुड़ जाता है

हर भारतीय
के लिये
बहुत गर्व का
एक विषय
यह जरुर
हो जाता है

सोचिये
कोशिश करिये
महसूस इस
कण को
अपने में
कर ले जाइये

अल्लाह ईश्वर
गौड के
एक होने
का सबूत
इस को
मान जाइये

विश्व शाँति
और अमन
के लिये
इस से अच्छा
और कोई
रास्ता क्या
कहीं नजर
आता है

कहीं तो
ईश्वर की
सत्ता
सच में
है मौजूद
एक सूक्ष्म
सा कण
क्या छोटे
से में हमें
ये नहीं
समझा
पाता है।