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बुधवार, 16 सितंबर 2020

लाशें जिंदा रहना बहुत जरूरी हैं मरे हुऐ लोगों के जिन्दा समाचारों लिये हमेशा

 

एक पुड़िया सफेद पाउडर मिला है

उस जगह पर जहाँ चॉक ही चॉक
पायी जाती रही है हमेशा से डिब्बा बन्द

अलग बात है
कहीं जरा सा भी नहीं घिसी रखी है इतिहास बनाने के लिये भी

हम सब
उसी को घिसने की रोटियां तोड़ते रहें हैं सालो साल

और कुछ
इसी की सफेदी को बिना छुवे हो लिये हैं बेमिसाल
खरीदे हैं जिन्होंने कई सम्मान अपने नाम से
अखबार साक्षी रहे हैं

अपनी नाकामियां लिखना आसान नहीं है

अखबार वाले के किये गये प्रश्न के उत्तर दिये गये हैं
किस तरह तराशे हुऐ निकलें
कल सुबह तक कुछ कहना ठीक नहीं है

और वैसे भी जो छपा आ जाता है
उसके बाद कहाँ कुछ किया जाता है

बहुत कुछ होता है आसपास कुछ अजीब सा हमेशा ही

अब हर बात कहाँ किसी अखबार तक पहुँचती है
और जो पहुँचाई जाती है कुछ दस्तखतों के साथ
उसकी तसदीक करने कभी कोई आता भी नहीं है

हमाम के अन्दर के कपड़े के बारे में पूछे गये प्रश्न
नाजायज हैं कह कर
खुद अपनी तस्वीर अपने ही आइने की
किसी को भी दिखा लेने की
आदत कभी बनी भी नहीं है

उलूक
चिड़िया कपड़े ना पहना करती है
ना उसे आदत होती है बात करने की नंगई की
उसकी जरूरत भी नहीं होती है

हम सब कर लेते हैं खास कर बातें कपड़ों की

और ढकी हुई उन सारी लाशों की
जिनकी खुश्बू पर कोई प्रश्न नहीं उठता है

आज के समाज में
लाशें जिंदा रहना बहुत जरूरी हैं
मरे हुऐ लोगों के जिन्दा समाचारों के लिये हमेशा ।

चित्र साभार:
https://twitter.com/aajtak