मस्जिद में
होती है अजान
सुनी भी जाती है
दिन में एक नहीं
कई बार उसको
पुकारने की
आवाज आती है
कुछ अजीब सा
लगता है जब
समाचार वाचिका
किसी की जय
जयकार की आवाजें
ऐसी जगह से
आने की खबर
जब सुनाती है
ये ऊपर वाले के
समय के साथ
बदलने की तरफ
का एक इशारा
भर है या
नीचे वाले ही
किसी की सोच
कुछ पलट जाती है
बहुत सी बातें
किताबों में कहीं भी
लिखी नहीं जाती हैं
उठती है इस तरह
के मौकों पर
ना समझ में
आती हैं ना ही
खुद को समझाई
ही जाती हैं
किसलिये करते हैं
कुछ कलाकार
केवल कलाकारी
के लिय ही कुछ
सच में अगर दिल
साफ होता है तो
पूजा मस्जिद में
क्यों नहीं की जाती है
और मंदिर में नमाज
क्यों कभी नहीं
कहीं भी पढ़ी जाती है ।
चित्र साभार: www.gograph.com
होती है अजान
सुनी भी जाती है
दिन में एक नहीं
कई बार उसको
पुकारने की
आवाज आती है
कुछ अजीब सा
लगता है जब
समाचार वाचिका
किसी की जय
जयकार की आवाजें
ऐसी जगह से
आने की खबर
जब सुनाती है
ये ऊपर वाले के
समय के साथ
बदलने की तरफ
का एक इशारा
भर है या
नीचे वाले ही
किसी की सोच
कुछ पलट जाती है
बहुत सी बातें
किताबों में कहीं भी
लिखी नहीं जाती हैं
उठती है इस तरह
के मौकों पर
ना समझ में
आती हैं ना ही
खुद को समझाई
ही जाती हैं
किसलिये करते हैं
कुछ कलाकार
केवल कलाकारी
के लिय ही कुछ
सच में अगर दिल
साफ होता है तो
पूजा मस्जिद में
क्यों नहीं की जाती है
और मंदिर में नमाज
क्यों कभी नहीं
कहीं भी पढ़ी जाती है ।
चित्र साभार: www.gograph.com