पूरा हुआ
खाता
बही
आज और अभी
इस
साल की
कुछ
चुनी हुयी
बकवासों
का
सभी
नहीं भी
कही
गयी
कुछ
अनछुयी
रह ही
गयी
फिर भी
बन गया
खींच तान
कर
किसी तरह
शतक
थके थकाये
अहसासों
का
समझे
गये
कुछ लोग
समझाये
गये
कुछ लोग
लिखे
लिखाये
में
दिखा
सैलाब
उमड़ते
जज्बातों
का
चित
हुआ करते थे
सिक्के
का
जिसकी
नजरों में
कभी
पुराने
सालों में
पट हो गये
इस साल
जवाब
भी
उनके
ही रहे
बिना
सिक्का
उछाले गये
चित पट
पर
पूछे गये
सवालातों
का
आभार
दिया
‘उलूक’ भी
कुछ भी
में से
कुछ कुछ
समझ लिये
जैसे
नजर
आने वाले
पाठकों की
भलमनसाहतों
का
इन्तजार
करता हुआ
फिर से
रात के
अंधेरे में
खुलने का
सभी
रोशनी
बन्द
किये हुऐ
कुछ
खुदाओं
के
हवालातों
का ।
खाता
बही
आज और अभी
इस
साल की
कुछ
चुनी हुयी
बकवासों
का
सभी
नहीं भी
कही
गयी
कुछ
अनछुयी
रह ही
गयी
फिर भी
बन गया
खींच तान
कर
किसी तरह
शतक
थके थकाये
अहसासों
का
समझे
गये
कुछ लोग
समझाये
गये
कुछ लोग
लिखे
लिखाये
में
दिखा
सैलाब
उमड़ते
जज्बातों
का
चित
हुआ करते थे
सिक्के
का
जिसकी
नजरों में
कभी
पुराने
सालों में
पट हो गये
इस साल
जवाब
भी
उनके
ही रहे
बिना
सिक्का
उछाले गये
चित पट
पर
पूछे गये
सवालातों
का
आभार
दिया
‘उलूक’ भी
कुछ भी
में से
कुछ कुछ
समझ लिये
जैसे
नजर
आने वाले
पाठकों की
भलमनसाहतों
का
इन्तजार
करता हुआ
फिर से
रात के
अंधेरे में
खुलने का
सभी
रोशनी
बन्द
किये हुऐ
कुछ
खुदाओं
के
हवालातों
का ।
चित्र साभार: https://www.clipartkey.com/