किसी
जमाने में
रोज आते थे
और
बहुत आते थे
अब नहीं आते
और जरा सा
भी नहीं आते
रास्ते
इस शहर के
कुछ बोलते नहीं
जो
बोलते हैं कुछ
वो
कुछ बताते ही नहीं
उस जमाने में
किस लिये आये
किसी ने
पूछा ही नहीं
इस जमाने में
कैसे पूछे कोई
वो अब
मिलता ही नहीं
रास्ते वही
भीड़ वही
शोर वही
आने जाने
वालों में
कोई नया
दिख रहा हो
ऐसा जैसा
भी नहीं
सब
आ जा रहे हैं
उसी तरह से
उन्हीं रास्तों पर
बस
एक उसके
रास्ते का
किसी को
कुछ पता ही नहीं
क्या खोया
वो या
उसका रास्ता
किससे पूछे
कहाँ जा कर कोई
भरोसा
उठ गया
‘उलूक’
जमाने का
उससे भी
और
उसके
रास्तों से भी
पहली बार
सुना जब से
रास्ते को ही
साथ लेकर अपने
कहीं खो गया कोई ।
चित्र साभार: www.clipartpanda.com
जमाने में
रोज आते थे
और
बहुत आते थे
अब नहीं आते
और जरा सा
भी नहीं आते
रास्ते
इस शहर के
कुछ बोलते नहीं
जो
बोलते हैं कुछ
वो
कुछ बताते ही नहीं
उस जमाने में
किस लिये आये
किसी ने
पूछा ही नहीं
इस जमाने में
कैसे पूछे कोई
वो अब
मिलता ही नहीं
रास्ते वही
भीड़ वही
शोर वही
आने जाने
वालों में
कोई नया
दिख रहा हो
ऐसा जैसा
भी नहीं
सब
आ जा रहे हैं
उसी तरह से
उन्हीं रास्तों पर
बस
एक उसके
रास्ते का
किसी को
कुछ पता ही नहीं
क्या खोया
वो या
उसका रास्ता
किससे पूछे
कहाँ जा कर कोई
भरोसा
उठ गया
‘उलूक’
जमाने का
उससे भी
और
उसके
रास्तों से भी
पहली बार
सुना जब से
रास्ते को ही
साथ लेकर अपने
कहीं खो गया कोई ।
चित्र साभार: www.clipartpanda.com