बहुत कुछ
कहना है
कैसे
कहा जाये
नहीं कहा
जा सकता है
लिखना
सोच के
हिसाब से
किसने
कह दिया
सब कुछ
साफ साफ
सफेद लिखा
जा सकता है
सब दावा
करते हैं
सफेद झूठ
लिखते हैं
सच
लिखने वाले
शहीद हो
चुके हैं
कई जमाने
पहले
ये जरूर
कहा जा
सकता है
लिखने
लिखाने
के कोर्ट
पढ़े लिखे
वकील
परिपक्व
जज
होते होंगे
बस इतना
कहा जा
सकता है
सबको पता
होता है
सब ही
जानते है
सबकुछ
कुछ
कहते हैं
कुछ कुछ
पढ़ते हैं
कुछ
ज्यादा
टिप्पणी
नहीं देते हैं
कुछ
दे देते हैं
यूँ ही
देना है
करके कुछ
कुछ
अपने अपने
का रिश्ता
अपने अपने
का धंधा
लिखने
लिखाने
ने भी
बना रखा है
‘उलूक’
खींच
अपने बाल
किसी ने
रोका
कहाँ है
बस मगर
थोड़ा सा
हौले हौले
जोर से
खींचना
ठीक नहीं
गालियाँ
खायेंगे
गालियाँ
खाने वाले
कह कर
दिन की
अंधी एक
रात की
चिड़िया को
सरे आम
गंजा बना
रखा है।
चित्र साभार: Dreamstime.com
कहना है
कैसे
कहा जाये
नहीं कहा
जा सकता है
लिखना
सोच के
हिसाब से
किसने
कह दिया
सब कुछ
साफ साफ
सफेद लिखा
जा सकता है
सब दावा
करते हैं
सफेद झूठ
लिखते हैं
सच
लिखने वाले
शहीद हो
चुके हैं
कई जमाने
पहले
ये जरूर
कहा जा
सकता है
लिखने
लिखाने
के कोर्ट
पढ़े लिखे
वकील
परिपक्व
जज
होते होंगे
बस इतना
कहा जा
सकता है
सबको पता
होता है
सब ही
जानते है
सबकुछ
कुछ
कहते हैं
कुछ कुछ
पढ़ते हैं
कुछ
ज्यादा
टिप्पणी
नहीं देते हैं
कुछ
दे देते हैं
यूँ ही
देना है
करके कुछ
कुछ
अपने अपने
का रिश्ता
अपने अपने
का धंधा
लिखने
लिखाने
ने भी
बना रखा है
‘उलूक’
खींच
अपने बाल
किसी ने
रोका
कहाँ है
बस मगर
थोड़ा सा
हौले हौले
जोर से
खींचना
ठीक नहीं
गालियाँ
खायेंगे
गालियाँ
खाने वाले
कह कर
दिन की
अंधी एक
रात की
चिड़िया को
सरे आम
गंजा बना
रखा है।
चित्र साभार: Dreamstime.com