उलूक टाइम्स: चिंगारी
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गुरुवार, 8 अक्टूबर 2015

आग लिखना सरल है बाकी फालतू की आग है

आग है
बहुत है
इधर भी है
उधर भी है

जल भी
रहा है
बहुत कुछ
राख है
और
बहुत है
इधर भी है
उधर भी है

लगा हुआ है
धौंकने में
चिंगारी कोई
इधर भी है
उधर भी है

हो भी रहा है
कुछ नहीं भी
हो रहा है
इधर भी कुछ
उधर भी कुछ

अलग
अलग है
आग है
इधर की है
अलग 
है

अलग है
आग 
है
उधर की है

आग सोच की है
आग मोबाईल की है
आग फैशन की है
आग मोटर
साइकिल की है
आग पढ़ने की है
आग पढ़ाने की है
आग निभाने की है
आग पचाने की है
आग जमा करने की है
आग जलने की है
आग जलाने की है
आग लकड़ियों की है
आग जंगल और
जंगलियों की है
आग सब्सीडी की है
आग मेहनत की है
आग हराम खोरी की है

‘उलूक’
रुक जा

रुक जा
मत बाँट
आग को तो
कम से कम

आग आग है
आँख आँख है
परेशान
मत हुआ कर
हर आस्तीन
में साँप है

जरूरी भी है जो है
काटने वाला नहीं है
बस दिखाने का साँप है ।


चित्र साभार: newyork.cbslocal.com

शुक्रवार, 21 नवंबर 2014

बस चिंगारी से आग और आग से राख बनाने की बात करनी है


चिंगारियाँ उठने की बात आग़ लगने की बात बातों बातों में ही करनी है
इससे भी पूछना है उससे भी पूछना है
आग से भी पूछ कर कुछ सुलगने सुलगाने की बात करनी है

जलाना कितना भी है जलाना कुछ भी है बस जलाने की बात करनी है
आग लगनी है ना लगानी है बस आग दिखने और दिखाने की बात करनी है

धुँआ दिखना नहीं है राख बचनी नहीं है दिल को जलना नहीं है
तूफान आने की बात करनी है

कत्ल होना नहीं है खून बहना नहीं है क्राँतिकारियों की बात करनी है 
बहुत हो चुकी इंसानों की बातें पामेरियन ऐप्सो एल्शेशियन की बात करनी है

बहुत बेच दिये आदमी ने आदमी
अब लाशें दफनानी हैं  मूर्तियाँ लगवानी हैं कमीशन बनाने की बात करनी है

आग होती भी है आग लगती भी है मत करो जुल्म उसपर बड़ा
उसे भी कभी थोड़ा सा कुछ सोने जाने की बात करनी है 

सालों हो गये तुझको बातें बनाते ‘उलूक’ सबको पता है
तुझे तो बस दिया सलाई की बात करनी है


चित्र साभार: www.dreamstime.com