उलूक टाइम्स: साँप
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शनिवार, 14 मार्च 2020

लगी आग लगाई आग कुछ राख कुछ बकवास कुछ चिट्ठाकारी




समझ में
जब

खुद के
ही
नहीं आती है

लगाई गयी आग
और
लगी आग
से
बनी राख

तो
किस लिये
भटकता है
औघड़

ढूँढने
के लिये
लकड़ियाँ
माचिस का डब्बा
और
गंधक लगी
छोटी छोटी
तीलियाँ

हुँकार कर
आँखें
लाल रक्त
से भर
और
फूँक दे
शँख

रक्तबीज
अंकुरित हैं
हर समय
हर दिशा में

विषाणु
को
कोई भी
नाम दे दो
अच्छा है

कत्ल
करने का
शरीर के साथ
आत्मा
का

के 
विश्वास
के
दंभ के आगे
कुछ नहीं
दंभ के पीछे
कुछ नहीं

दंभ
बनेगा राम
बना
करता होगा
रावण
कहानियों का

कई किस्म के
 बीमार हैं
बीमारियाँ भी
कम नहीं हैं

शरीर
कई मिटते हैं
मिटते रहेंगे

आत्मा
सड़ी
सबसे
खतरनाक है

तैर लेती है
समय के साथ
फाँद लेती है
मीनारें

बहुत
कठिन समय है
विषाणु
बैठ चुका है
कई साल पहले
सिंहासन पर

सम्मोहित
करता है
लोग
होते भी हैं
सम्मोहित

मर भी जाते हैं
बस
जलाये
या
दफनाये
नहीं जाते हैं

तैरते हैं
अभी भी
समय के साथ

आदमी
भ्रम से पार
नहीं पायेगा
जरूरत भी नहीं है

संपेरों
के
देश के साँप
और
बीन लिये
सपेरे
काफी हैं
संभालने के लिये
देश

साँप फुफकारे

जय हिन्द
वन्दे मातरम
भारत माता की जय
इस से बड़ा
 आठवाँ आश्चर्य
बताइये कोई

‘उलूक’
तेरी तरह का
कोई
पढ़ेगा जरूर

अच्छा होता है
लिख कर
कुछ बकवास

फिर
सो जाना
सूखे पेड़ की ठूँठ पर

आँख
खोल कर
हमेशा की तरह ।

 चित्र साभार: https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/badaun/story-snake-punished-snake-charmer-called-snake-2769083.html

रविवार, 4 अगस्त 2019

किसलिये खुद सोचना फिर बोलना भी खुद ही हमारे होने के डर का अहसास किसी दिन तेरे चेहरे पर भी दिखेगा



मत सोच 

हम
हैं ना 
सोचने के लिये

मत बोल

हम
बोल तो रहे हैं

मत देख

दिख रहा है
की
गलतफहमी
मत पाल

हम
देख रहे हैं
बता देंगे
खुद देख कर

क्या करेगा
वैसे भी

खुद
सोच लेना

पाप हो चुका है

देखना
और
दिख रहा है
मान लेना

उससे बड़ा
पाप बन गया है

बोलना
सोच कर
दिख रहे के
ऊपर कुछ

महापाप है

बल्कि
सबसे बड़ा
साँप कहिये

या
समझ लीजिये

खुद को
खुद दिया गया
एक श्राप है

मान लिया
देख भी लिया
तूने
सब कुछ
या
थोड़ा कुछ भी

और
सोच भी लिया
चल

लगा कर
कुछ
अपना दिमाग ही

कोई बात नहीं

बोलना

शुरु
मत कर देना

कर भी देगा

तो भी
क्या होना

हम हैं ना
बोये हुऐ
उसके

उगे हुऐ उसके लिये

घेर लेंगे

जबान
खुलते ही तेरी

बेकार
में ही
हतोत्साहित
करना पड़ेगा

हम
एक नहीं उगे हैं

भीड़
हो चुके हैं

बच नहीं सकेगा

बोलने से
पहले
गिर पड़ेगा
अपनी ही नजर में

समझदारी कर

मान ले

कुछ नहीं
दिख रहा है

मान ले

कुछ नहीं
सुन रहा है

मान ले

सोच में
कीड़ा
लग चुका है

हम हैं ना

बता
तो रहे हैं
क्या देखना है

हम हैं ना

समझा
तो रहे हैं
क्या सोचना है

पूछ लेगा

बोलने
से पहले
अगर
‘उलूक’

लिखने लिखाने
पर
ईनाम भी
भारी मिलेगा

उस की
जय जय
हमारी भी
जय जय
के साथ

तेरी
किस्मत का
नया एक अध्याय
शुरु होगा

चैन से
जीने
 दिया जायेगा

भीड़ के
चेहरे में
तेरा चेहरा
मिलमिला कर

एक
 इतिहास 
नया

गुलामों
की मुक्ति का

फिर से

हमारा
जैसा
कोई एक

भीड़
में से
ही लिखेगा।

चित्र साभार:
http://www.picturesof.net


सोमवार, 4 मार्च 2019

कुछ नहीं कहने वाले से अच्छा कुछ भी कह देने वाले का भाव एकदम उछाल मारता हुवा देखा जाता है

तबीयत
ठीक रहती है
तो

बड़ा झूठ
बहुत आसानी से
पचाया जाता है

बकवास
लिखी जाती रहती है
तो


सच भी
नंगा होने में शरमाता है

जिंदगी
निकलती जाती है

झूठ ही
सबसे बड़ा
सच होता है
समझ में आता जाता है

हर कोई
एक नागा साधू होता है

कपड़े
सब के पास होते हैंं
तो

दिखाने भी होते हैं

इसीलिये
पहन कर आया जाता है

बहुत कुछ
होता है जो
कहीं भी नहीं
पाया जाता है

नहीं होना ही
सबसे अच्छा होता है

बिना
पढ़ा लिखा भी
बहुत कुछ
समझा जाता है

साँप
के दाँत
तोड़ कर
आ जाता है

बत्तीस
नहीं थे
छत्तीस हैं
बता कर जाता है

साँप
तो

मार खाने
के बाद
गायब हो जाता है

साँपों की
बात करने वाला

जगह जगह
मार खाता है
गरियाया जाता है

लकीर
पीटने वाला
सब से समझदार
समझा जाता है
माना जाता है

पीटते पीटते
फकीर हो जाता है

ऊपर वाला भी
देखता रह जाता है

एक जगह
खड़ा रहने वाला

हमेशा शक की
नजरों से देखा जाता है

थाली में
बैगनों के साथ
लुढ़कते रहने वाला ही

सम्मानित
किया जाता है

‘उलूक’
कपड़े लत्ते की
सोचते सोचते

गंगा नहाने
नदी में उतर जाता है

महाकुँभ
की भीड़ में
खबरची के
कैमरे में आ जाता है
पकड़ा जाता है

घर में
रोज रोज
कौन कौन
नहाता है

अखबार
में नहीं
बताया जाता है

बकवास
करते रहने से

खराब
तबीयत का
अन्दाज नहीं
लगाया जाता है

तबीयत
ठीक रहती है
तो

एक
बड़ा झूठ भी
आसानी से
पचाया जाता है

चित्र साभार: http://hatobuilico.com

गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018

आज कुछ हड्डी की बात थोड़ा चड्डी की बात कुछ कबड्डी की बात

"चिट्ठे ‘उलूक टाइम्स’ तक पहुँचे 18 लाख कदमों के लिये दर्शकों पाठकों और टिप्पणीकारों को दिल से आभार" 



किसी को लग रहा है 
कबड्डी चल रही है 

जी नहीं 
ये एक जगह की 
बात नहीं है जनाब 

देश में 

हर गली मोहल्ले में 
ध्यान से देखिये जनाब 

कान खोलिये नाक खोलिये 
आँख खोलिये जनाब 

बस एक हड्डी 
और 
बस हड्डी 

चल रही है जनाब 

हड्डी चलती है 
उसके चल जाने के बाद 
कबड्डी चलती है जनाब 

कबड्डी किस के बीच में चल रही है 
बस यही मत देखिये जनाब 

कबड्डी के मैदान के आस पास ढूँढिये 
जरूर दिखेगी 
कोई ना कोई आपको 
हड्डी जनाब 

जमाना हड्डियों का है 
इशारे से हो रही हैं 
छोटे बड़े सारे मैदानों में 
कबड्डियाँ जनाब 

और 

आप का ध्यान 
भटक रहा है 
बस राजधानी की कबड्डी पर 
जा कर अपने आप 

हो सकता है 
शौक रहा हो आपको भी कभी 
कबड्डी का बेहिसाब 

खेलने की इच्छा हो रही हो 

हो सकती है 
भड़क रही हो इसलिये 
क्या पता अन्दर की आग 

इसीलिए बन भी रही हो 
सोचते सोचते सोच की भाप 

पकड़ने वाले कर रहे हैं 
पकड़ पकड़ 
खेतों के बीच घुसे हुऐ हैं 
बहुत बड़ी बड़ी उगा कर घास 

छूट जा रहे हैं 
इस सब में नेवलों के हाथों से 
पकड़े हुऐ जहरीले साँप 

जमाना बदल रहा है 
इन्द्रियों बेचारी रह गयी 
आप के पास अभी तक पाँच 

जागृत करिये छटी इन्द्री 
हो सके तो सातवीं और आठवीं भी 

बन सको आप भी संजय महाभारत के 
माहिर हो कर घर बैठे बैठे लो पैंतरे भाँप 

‘उलूक’ क्या देखता है 
रात को उठा हुआ 
दिन में सोया हुआ 

रहने भी दो जनाब 

हड्डी हो या चड्डी या कबड्डी 
कोई मेल नहीं दिखता 

चलने दीजिये 
मान कर उसकी 
आखें कान नाक हो गयी हैं 
बहुत ज्यादा खराब 

छोटी सी बात को 
करने लगा है बड्डी बड्डी और बड्डी 
खेलने के लिये खुद 
बातों की कबड्डी जनाब । 

चित्र साभार: http://www.clipartguide.com

शनिवार, 1 सितंबर 2018

देश बहुत बड़ी चीज है खुद के आस पास देख ‘कबूतर’ ‘साँप’ ही खुद एक ‘नेवला’ जहाँ पाल रहा होता है

लिखे लिखाये में
ना तेरे होता है
ना मेरे होता है

सब कुछ उतार
के खड़ा होने
वाले के सामने
कोई नहीं होता है

जिक्र जरूर होता है
डरे हुऐ इंसानो के बीच

 शैतान की बात ही
अलग होती है
वो सबसे अलग होता है

आदमी तो बस
किसी का
एक कुत्ता होता है
आप परेशान ना होवें
कुत्ता होने से पहले
आदमी होना होता है

कोई नहीं लिख रहा है
कोई भी सच कहीं पर भी
झूठ लिखने वाला भी
हमेशा ही सच से डरा होता है

बड़ी तमन्ना है
देखने की
शक्ल बन्दूक की
और गोली की भी
वहाँ जहाँ
हर कोई बन्दूक है
और गोली ठोक रहा होता है

बहुत इच्छा है
‘उलूक’ की
किसी दिन
नंगा होकर नाचने की
देखकर
साथ के एक नंगे को
जो नंगई कर के भी
नाच रहा होता है |

चित्र साभार: https://www.123rf.com

गुरुवार, 8 अक्टूबर 2015

आग लिखना सरल है बाकी फालतू की आग है

आग है
बहुत है
इधर भी है
उधर भी है

जल भी
रहा है
बहुत कुछ
राख है
और
बहुत है
इधर भी है
उधर भी है

लगा हुआ है
धौंकने में
चिंगारी कोई
इधर भी है
उधर भी है

हो भी रहा है
कुछ नहीं भी
हो रहा है
इधर भी कुछ
उधर भी कुछ

अलग
अलग है
आग है
इधर की है
अलग 
है

अलग है
आग 
है
उधर की है

आग सोच की है
आग मोबाईल की है
आग फैशन की है
आग मोटर
साइकिल की है
आग पढ़ने की है
आग पढ़ाने की है
आग निभाने की है
आग पचाने की है
आग जमा करने की है
आग जलने की है
आग जलाने की है
आग लकड़ियों की है
आग जंगल और
जंगलियों की है
आग सब्सीडी की है
आग मेहनत की है
आग हराम खोरी की है

‘उलूक’
रुक जा

रुक जा
मत बाँट
आग को तो
कम से कम

आग आग है
आँख आँख है
परेशान
मत हुआ कर
हर आस्तीन
में साँप है

जरूरी भी है जो है
काटने वाला नहीं है
बस दिखाने का साँप है ।


चित्र साभार: newyork.cbslocal.com

रविवार, 6 जुलाई 2014

साँप जहर और डर किसका ज्यादा कहर

साँप को
देखकर
अत्यधिक
भयभीत
हो गई
महिला के
उड़े हुऐ
चेहरे
को देखकर

थोड़ी देर के लिये
सोच में पड़ गया

दिमाग
के काले
श्यामपट में
लिखा हुआ

सारा सफेद
जैसे काला
होते हुऐ
कहीं आकाश
में उड़ गया

साँप आ ही
रहा था कहीं से
उसी तरह
सरसराता
हुआ निकल गया

हुआ
कुछ किसी
को नहीं

बस माहौल
थोड़ी देर
के लिये

उलटा पुल्टा
होते होते
डगमगाता
हुआ जैसे
संभल गया

जहर था
साँप के अंदर
कहीं रखा हुआ

उसे उसी तरह वो
कंजूस अपने साथ
लेकर निकल गया

महिला ने भी चेहरे
का रंग फिर बदला

पहले जैसा ही
कुछ ही देर में
वैसा ही कर लिया

रोज बदलता है
मेरे चेहरे का रंग
किसी को देखकर

अपने
सामने से
शीशे ने भी
देखते देखते
इससे
सामंजस्य
कर लिया

साँप के
अंदर के जहर
के बारे में
सब ने सब कुछ
पता कर लिया

उसके अंदर
कुछ भी नहीं
फिर कैसे
साँप के
जहर से भी
बहुत ज्यादा
बहुत कुछ
करते ना करते
कर लिया

‘उलूक’
समझा कर

रोज मरने वाले
से अच्छा होता है

एक ही बार
मर कर
पतली गली से
जो
एक बार में ही
निकल लिया ।

गुरुवार, 14 नवंबर 2013

मत कह बैठना कहानी में आज मोड़ है आ रहा

मकड़ी के
जाले में फंसी
फड़फड़ाती
एक मक्खी

छिपकली
के मुँह से
लटकता
कॉकरोच

हिलते डुलते
कटे फटे केंचुऐ

खाने के लिये
लटके छिले हुऐ
सांप और मेंढक

गर्दन कटी
खून से सनी
तड़फती
हुई मुर्गियाँ

भाले से
गोदे जा रहे
सुअर के
चिल्लाने
की आवाज

शमशान घाट
से आ रही
मांस जलने
की बदबू

और भी
ऐसा बहुत कुछ

पढ़ लिया ना
अब दिमाग
मत लगाना

ये मत सोचना
शुरु हो जाना

लिखने वाला
आगे अब
शायद है कुछ
नई कहानी
सुनाने वाला

ऐसा कुछ
कहीं नहीं है
सूंई से लेकर
हाथी तक पर
बहुत कुछ
जगह जगह
यहां है लिखा
जा रहा

अपनी अपनी
हैसियत से
गधे लोमड़ी
पर भी फिलम
एक से एक
कोई है
बनाये जा रहा

पढ़ना जो
जैसा है चाहता
उसी तरह
की गली में
है चक्कर
लगा रहा

लेखक की
मानसिक
स्थिति को
कौन यहां
सही सही
पहचान
है पा रहा

कभी एक
अच्छे दिन
दिखाई दी थी
सुन्दर व्यक्तित्व
की मालकिन एक
चाँद से उतरते हुऐ

वही दिख रही थी
झाड़ू पर बैठ कर
चाँद पर उड़ती हुई
एक चुड़ैल जैसे
कुछ करतब करते हुऐ

मूड है
बहुत खराब
'उलूक'
का बेहिसाब
कुछ ऐसा
वैसा ही
है आज

जैसा लिखा
हुआ तुझे
यहाँ नजर
है आ रहा ।

शनिवार, 19 जनवरी 2013

साँप जी साँप

नमस्कार !
साँप जी
आप कुछ भी
नहीं करते
फिर भी
आप बदनाम
क्यों हो जाते हो
पूछते क्यों नहीं
अपने सांपो से कि
साँप  साँप से
मिलकर साँपों की
दुनियाँ  आप क्यों
कर नहीं बसाते हो
डरता हुआ
कोई भी कहीं
नहीं दिखता
सबके अपने
अपने  काम
समय पर
हो जाते हैं
मेरे घर का साँप
मेरे मौहल्ले का साँप
मेरे जिले और
मेरे प्रदेश का साँप
हर साँप का
कोई ना
कोई साँप
जिंदा साँप
मरा हुआ साँप
सभी सांप
ढूँड  ढूँड कर
कोई ना कोई साँप
ले ही आते हैं
साँप अगर घूमने
को जाता है
कम से  कम एक
साँप को निगरानी
करने को जरूर
छोड़ जाता है
साँपो की जाति
साँपों की श्रैणी
की  साँप लोग कहाँ
परवाह  करते हैं
हर साँप दूसरे साँप
के जहर की दूध
से पूजा करते हैं
कभी भी अखबार में
साँप का साँप के द्वारा
सफाया किया गया
खबर नहीं आती
शहर के साँप की
अखबार के सांप
के द्वारा फोटो
जरूर ही है
दी जाती
अखबार के साँप
की जय जयकार है
जो साँप की सोच के
साथ दोस्ती
जरूर है निभाती
साँप को पत्थर में भी
लेकिन नेवला
हमेशा नजर आता है
साँप गुलाब के फूल को
देख कर भी घबराता है
साँप नहीं बन रहा है
प्रधानमंत्री सोच
सोच कर साँप
बहुत रोता जाता है
नेवला भी उसको
ढाँढस जरूर
बंधाता है
किसी को इस बात में
कोई अचरज नजर
नहीं आता है
ना तेरे ना मेरे
बाप का कहीं कुछ
जाता है
लाईक तभी
करना जब
लगे तेरे को
भेजे में तेरे
मेरे भेजे की
तरह गोबर
कहीँ भी थोड़ा
नजर आता है।