उलूक टाइम्स: चिल्ला
चिल्ला लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
चिल्ला लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 5 जून 2014

कभी कुछ इस तरह भी कर लिया जाये

अब रोने
चिल्लाने
पर कैसे
गीत
या गजल
लिखी जाये

बस यूँ ही
ऐसे ही
क्यों ना कुछ
रो लिया जाये
चिल्ला लिया जाये

वैसे भी कौन
पढ़ या
गा रहा है
रोने चिल्लाने को

सब फालतू है
दिखाने को
बस ऐसे ही
जैसा है
रहने ही
दिया जाये

कोई खरोंचने
में लगा हो
चिपकी हुई
कढ़ाही में
से मलाई

उसकी
कुछ मदद
क्यों ना करने
को चला जाये

चाकू
जंक लगा
साफ कर
चमका
लिया जाये

अब हो रहा है
जो भी कुछ
नया तो नहीं
होने जा रहा

पुराने घाव को
धो पोछ कर
फिर से ढक
लिया जाये

बहुत कुछ
कहने से
कुछ नहीं
कहीं होने वाला

बस इतना
कहने के बाद
जोर जोर से
गला फाड़ कर
हंस लिया जाये

‘उलूक’ बहुत
हो चुकी
बकवास

चुपचाप
क्यों ना
कहीं
किसी और
को चाटने के
लिये अब
यहाँ से
खिसक
लिया जाये ।

शुक्रवार, 21 जून 2013

मदद कर मदद के लिये मत चिल्ला



अरे !
तू तो
मत चिल्ला
हमेशा ही तो
है यहाँ रहता
तू थोडे़ ना
है कहीं फंसा
अपनी गिनती
आपदाग्रस्तों में
मत करवा
मान भी जा
सड़कें बह गयी
सब पानी में
तो क्या हुआ
कहीं को मत जा
सैलानियों की
मदद कर
आधे बड़ आ
राष्टृ की धारा में
हमेशा ही है
जब तू बहा
छोटी बात
इस समय
तो मत उठा
पहाडी़ पहाडो़
का दर्द समझ
बस पहाडी़
राज्य एक बना
देश के नाम
पर करता रहा है
हमेशा जब तू
जान कुर्बान
आज भी मौका
जब मिला है
शहीद हो जा
वैसे भी करना है
एक दिन यहाँ
से पलायन तुझे
घर बह गया तेरा
अच्छा हुआ
खंडहर की
फोटो बनने
से तो रह गया
कल वो सड़क
फिर बनायेगा
कुछ अपना लेगा
कुछ ऊपर
दे आयेगा
तू फिर से
मंदिर को सजा
धार्मिक पर्यटन की
सोच को बढा़
हिमालय के रंग
अभी भी बदलेंगे
सूरज के साथ
हमेशा की तरह
कुछ नये पोस्टर
और छपवा
देश पर आयी
है आफत जब
कभी पहले भी
तूने कभी
कदम पीछे
कहाँ है खीँचा
एक बार फिर
कदमताल करने
का मन बना
वक्तव्य छप
रहे हैं चुनिंदा
यहाँ छपे
हैं जो आज
कल के
अखबार में
तू भी
कोशिश कर
एक दो
कमेंट दे जा
फेसबुकिया
ट्विटिया
कुछ भी कर ले
बस हल्ला
मत मचा ।