अब रोने
चिल्लाने
पर कैसे
गीत
या गजल
लिखी जाये
बस यूँ ही
ऐसे ही
क्यों ना कुछ
रो लिया जाये
चिल्ला लिया जाये
वैसे भी कौन
पढ़ या
गा रहा है
रोने चिल्लाने को
सब फालतू है
दिखाने को
बस ऐसे ही
जैसा है
रहने ही
दिया जाये
कोई खरोंचने
में लगा हो
चिपकी हुई
कढ़ाही में
से मलाई
उसकी
कुछ मदद
क्यों ना करने
को चला जाये
चाकू
जंक लगा
साफ कर
चमका
लिया जाये
अब हो रहा है
जो भी कुछ
नया तो नहीं
होने जा रहा
पुराने घाव को
धो पोछ कर
फिर से ढक
लिया जाये
बहुत कुछ
कहने से
कुछ नहीं
कहीं होने वाला
बस इतना
कहने के बाद
जोर जोर से
गला फाड़ कर
हंस लिया जाये
‘उलूक’ बहुत
हो चुकी
बकवास
चुपचाप
क्यों ना
कहीं
किसी और
को चाटने के
लिये अब
यहाँ से
खिसक
लिया जाये ।
चिल्लाने
पर कैसे
गीत
या गजल
लिखी जाये
बस यूँ ही
ऐसे ही
क्यों ना कुछ
रो लिया जाये
चिल्ला लिया जाये
वैसे भी कौन
पढ़ या
गा रहा है
रोने चिल्लाने को
सब फालतू है
दिखाने को
बस ऐसे ही
जैसा है
रहने ही
दिया जाये
कोई खरोंचने
में लगा हो
चिपकी हुई
कढ़ाही में
से मलाई
उसकी
कुछ मदद
क्यों ना करने
को चला जाये
चाकू
जंक लगा
साफ कर
चमका
लिया जाये
अब हो रहा है
जो भी कुछ
नया तो नहीं
होने जा रहा
पुराने घाव को
धो पोछ कर
फिर से ढक
लिया जाये
बहुत कुछ
कहने से
कुछ नहीं
कहीं होने वाला
बस इतना
कहने के बाद
जोर जोर से
गला फाड़ कर
हंस लिया जाये
‘उलूक’ बहुत
हो चुकी
बकवास
चुपचाप
क्यों ना
कहीं
किसी और
को चाटने के
लिये अब
यहाँ से
खिसक
लिया जाये ।
अच्छा व सटीक लेखन सर !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (06.06.2014) को "रिश्तों में शर्तें क्यों " (चर्चा अंक-1635)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंग्य
नये पोस्ट की प्रतीक्षा में
सादर
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभकामनायें आदरणीय-
वाह …बहुत बढ़िया करारा व्यंग
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंलाजवाब कटाक्ष !
जवाब देंहटाएंबस ऐसे ही
जवाब देंहटाएंजैसा है
रहने ही दिया जाये ।
सटीक।