ढूँढना
शुरु करना कभी कुछ
शुरु करना कभी कुछ
थोड़ी देर देखने भर के लिये
खुद को अपने ही आस पास से हटा कर
दूर ले जाने की मँशा के साथ भटकते भटकते
रुकते हुऐ
कदम किसी के पन्ने पर
बस इतना सोच कर कि ठीक नहीं
रोज अपनी ही बात को लेकर खड़े हो जाना
रोज अपनी ही बात को लेकर खड़े हो जाना
दर्द बहुत हैं बिखरे हुऐ
गुलाबों की सुर्ख पत्तियों से जैसे ढके हुऐ
बहुत कुछ है यहाँ
पता लगता भी है
पता लगता भी है
कहीं किसी मोड़ पर आकर
मुड़ा हुआ पन्ना किसी किताब का
रोक लेता है कदमों को
मुड़ा हुआ पन्ना किसी किताब का
रोक लेता है कदमों को
और नजर
गुजरती किसी लाईन के बीच
गुजरती किसी लाईन के बीच
पता चलता है खोया हुआ किसी का समय
और
और
रुकी हुई घड़ी
जैसे इंतजार में हो
किसी के लौटने के आने की खबर के लिये
जैसे इंतजार में हो
किसी के लौटने के आने की खबर के लिये
जानते बूझते
किसी के चले जाने की
एक सच्ची बहुत दूर से आई और गयी
खबर के झूठ हो जाने की आस में
खबर के झूठ हो जाने की आस में
अपने गम
बहुत हल्के होते हुऐ
तैरते नजर आना शुरु होते हैं
और नम कर देते हैं आँखो को एक आह के साथ
जो निकलती है
एक दुआ के साथ दिल से
बहुत हल्के होते हुऐ
तैरते नजर आना शुरु होते हैं
और नम कर देते हैं आँखो को एक आह के साथ
जो निकलती है
एक दुआ के साथ दिल से
खोये हुऐ के सभी अपनों के लिये ।
चित्र साभार: http://apiemistika.lt/