चलिये
आज
आप से ही
पूछ लेते हैं
आज
आप से ही
पूछ लेते हैं
कुछ
लिखा जाये
या
रहने दिया जाये
रहने दिया जाये
रोज लिख लेते हैं
अपने मन से
कुछ भी
कुछ भी
पूछते भी नहीं
फिर
आज कुछ
अलग सा
क्यों ना
कर लिया जाये
क्यों ना
कर लिया जाये
अपना लिखना
अपना पढ़ना
अपना समझना
सभी करते हैं
कौन
किसी से
पूछ कर लिखता है
चलिये
कुछ
नया कर लेते हैं
आप बताइये
किस पर लिखा जाये
क्या
लिखा जाये
लिखा जाये
कैसे
लिखा जाये
लिखा जाये
जैसे
खाना पकाना
सब का
अलग अलग
होता है
अलग अलग
होता है
एक
जैसा भी
होने से कुछ
नहीं होता है
बैगन की
सब्जी
ही
होती है
एक
बनाता है
तो
कद्दू
का
कद्दू
का
स्वाद होता है
दूसरे
के बनाने पर
पूछना
पड़ जाता है
पड़ जाता है
बैगन
जैसा कुछ
जैसा कुछ
लग रहा है
हमारे
शहर के
पाँच सितारा होटल
का
एक बहुत
प्रसिद्ध खानसामा
इसी तरह
एक बहुत
प्रसिद्ध खानसामा
इसी तरह
का
बनाता है
बनाता है
अरे
परेशान होने
को
यहाँ कोई भी
यहाँ कोई भी
नहीं आता है
सबको पता होता है
सब कुछ हमेशा
कोई
अनपढ़
सुना है
क्या
क्या
कहीं कमप्यूटर
भी चलाता है
ये तो बस कुछ
देर का शगल है
नये जमाने के
नये लोगों का
क्या
यहाँ कोई
किसी बंदर के
हाथ में अदरख
है या नहीं
देखने आता है
एक जमाने में
डायरी हुआ करती थी
कोई
नहीं परेशान
होता था
इस बात से
इस बात से
शाम होते ही
लिखने वाला
अपनी
अपनी
दिन भर की कमाई
सब से छुपा कर
किस
किताब के
किस पन्ने में
जमा कर जाता है
आज
बस रूप
बदल गया पन्ने का
आदमी
उसकी पतंग
उसकी पतंग
बना कर भी
अगर
उड़ाता है
उड़ाता है
कोई
उस पतंग की
उड़ान को देखने के
लिये नहीं आता है
कटी
पतंगें होती है
कुछ कुछ
पतंग बाजों की
उनका आना एक
मजबूरी उनकी
हो जाता है
ये
शक की बीमारी भी
बहुत बर्बादी ले
कर आती है
वो
बस ये देखने
के लिये आता है
कहीं
कोई उसकी
पतंग उड़ाने तो
नहीं
आता जाता है
बहुत देर से
पूछ रहा था “उलूक”
क्या करना है
नहीं मिला
कोई जवाब
बाद में मत
कहना
जो मन में आये
यहाँ लिख लिखा कर
चला जाता है ।