कफन
मरने के
बाद ही
खरीदे
कोई
मरने
वाले के लिये
अच्छा है
सिला सिलाया
मलमल का
खूबसूरत सा
खुद पहले से
खरीद लेना
जरूरी है
थोड़ा सा कुछ
सम्भाल कर
जेब में उधर
ऊपर के लिये
भी रख लेना
सब कुछ इधर
का इधर ही
निगल लेने से
भी कुछ नहीं होना
अंदाज आ ही
जाना है तब तक
पूरा नहीं भी तो
कुछ कुछ ही सही
यहाँ कितना कुछ
क्या क्या
और किसका
सभी कुछ
है हो लेना
रेवड़ियाँ होती
ही हैं हमेशा से
बटने के लिये
हर जगह ही
अंधों के
बीच में ही
खबर होती
ही है
अंधों के
अखबारों में
अंधों के लिये ही
आँख वालों
को इसमें
भी आता है
ना जाने
किसलिये इतना
बिलखना रोना
लिखने वाले
लिख गये हैं
टुकडे टुकड़े में
पूरा का पूरा
आधे आधे का
अधूरा भी
हिसाब सारा
सब कुछ कबीर
के जमाने से ही
कभी तो माना
कर जमाने के
उसूलों को
‘उलूक’
किसी एक
पन्ने में पूरा
ताड़ का पेड़
लिख लेने से
सब कुछ
हरा हरा
नहीं होना ।
चित्र साभार: www.fotosearch.com
मरने के
बाद ही
खरीदे
कोई
मरने
वाले के लिये
अच्छा है
सिला सिलाया
मलमल का
खूबसूरत सा
खुद पहले से
खरीद लेना
जरूरी है
थोड़ा सा कुछ
सम्भाल कर
जेब में उधर
ऊपर के लिये
भी रख लेना
सब कुछ इधर
का इधर ही
निगल लेने से
भी कुछ नहीं होना
अंदाज आ ही
जाना है तब तक
पूरा नहीं भी तो
कुछ कुछ ही सही
यहाँ कितना कुछ
क्या क्या
और किसका
सभी कुछ
है हो लेना
रेवड़ियाँ होती
ही हैं हमेशा से
बटने के लिये
हर जगह ही
अंधों के
बीच में ही
खबर होती
ही है
अंधों के
अखबारों में
अंधों के लिये ही
आँख वालों
को इसमें
भी आता है
ना जाने
किसलिये इतना
बिलखना रोना
लिखने वाले
लिख गये हैं
टुकडे टुकड़े में
पूरा का पूरा
आधे आधे का
अधूरा भी
हिसाब सारा
सब कुछ कबीर
के जमाने से ही
कभी तो माना
कर जमाने के
उसूलों को
‘उलूक’
किसी एक
पन्ने में पूरा
ताड़ का पेड़
लिख लेने से
सब कुछ
हरा हरा
नहीं होना ।
चित्र साभार: www.fotosearch.com