उलूक टाइम्स: बेशरम. बेशर्मी
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बुधवार, 22 मार्च 2017

बेशरम होता है इसीलिये बेशर्मी से कह भी रहा होता है

शायद
पता नहीं
होता है
दूर देखने
की आदत
नहीं
डाल रहा
होता है

देख भी
नहीं रहा
होता है


गिद्ध होने
का बहुत
ज्यादा
फायदा
हो रहा
होता है

आस पास
के कूड़े
कचरे को
सूँघता ही
फिर रहा
होता है

खुश्बुओं की
बात कभी
थोड़ी सी भी
नहीं कर
रहा होता है

लाशों के
बारे में
सोचता
फिर रहा
होता है

कहीं भी
कोई भी
मरा भी
नहीं
होता है

हर कोई
जिंदा
होता है
घूम रहा
होता है

सब कह
रहे होते हैं
सब को बता
रहे होते हैं
सब कुछ
ठीक हो
रहा होता है

बेशरम
बस एक
‘उलूक’
ही
हो रहा
होता है

रात को
उठ रहा
होता है
फटी आँखों
से देख
रहा होता है

बेशरम
हो रहा
होता है
बेशर्मी से
कहना
नहीं कहना
सारा
सभी कुछ
कह रहा
होता है ।

चित्र साभार: Tumblr