उलूक टाइम्स: साबुन
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सोमवार, 9 सितंबर 2019

गंदा लिख भी गया अगर माना साबुन लगा कर क्या धो नहीं सकता है

लिखी
लिखायी
बकवास को

लिखने के
बाद ही सही

थोड़ा सा
नीरमा लेकर
क्या
धो नहीं सकता है

लिखे को
धोने में
परेशानी है अगर

सोच को ही
धो लेने का
कोई इन्तजाम

क्या
लिखने से पहले
हो नहीं सकता है

दिखता है

देखने
वाले के
देखने से

थोड़ा सा
कुछ लिखने
की कोशिश में

असली बात
इस तरह से
हमेशा ही कोई
खो नहीं सकता है

सालों
लिखते
हो गये
थोड़ा सच
और
थोड़ा झूठ

अब
यहाँ तक
पहुँच कर

एक
पूरा सच
और
एक
पूरा झूठ

सामने
रख दे
सीधे सीधे
हँसते हँसाते

थोड़ी
देर के लिये
झूठा ही सही

क्या
रो नहीं सकता है

‘उलूक’
सीखता
क्यों नहीं कुछ

कभी
पढ़कर भी कुछ

कुछ भी
लिखता
लिखाता
सही गलत
ही सही

होने
का क्या है
ठान ले
अगर कोई

क्या कुछ
हो नहीं सकता है।

 चित्र साभार: https://www.teepublic.com

सोमवार, 15 जून 2015

मुद्दा पाप और मुद्दा श्राप

पापों
को धोने
का साबुन
अगर बाजार में
उतारा जायेगा

कोई बतायेगा

आज
के दिन
उस साबुन
का नाम

किसके
नाम पर
रखा जायेगा

साबुन
बिकेंगे
अपने ही पूरे
देश में

या
विदेशों में
ले जा कर भी
बेचा जायेगा

सीधे सीधे
खरीदेगा
आदमी
साबुन

खुद
अपने लिये
जा कर
किसी दुकान से

या
राशन कार्ड में
दिलवाया जायेगा

बहुत
सी बातें हैं
नई नई
आती हैं

अंदाज नहीं
लग पाता है
किसको कितना
भाव दिया जायेगा

पाप
के साथ
श्राप भी
बिकने
की चीज है
बड़ी काम की
पुराने युगों की

श्राप
देने लेने
का फैशन भी
क्या कभी
लौट कर आयेगा

पापी
बेचेगा श्राप
खुद बनाकर
अपनी दुकान पर

या
गलती से
किसी ईमानदार
के हाथ में
ठेका लग जायेगा

कितने
तरह के श्राप
बिकेंगे बाजार में

किसके
नाम का श्राप
सबसे खतरनाक
माना जायेगा ?

चित्र साभार: churchhousecollection.blogspot.com

मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

क्या धोया ना कपड़ा रहा ना साबुन रहा सब कुछ पानी पानी हो गया

अब क्या कहूँ
कहने के लिये
कुछ भी नहीं
कहीं रह गया
कुछ मैला तो
नहीं हो गया
सोचने सोचने
तक बिना साबुन
बिना पानी के
हवा हवा में
ही धो दिया
धोना बुरी
बात नहीं पर
इतना भी
क्या धोना
पता चला
कपड़ा ही
धोते धोते
कहीं खो गया
साबुन गल
गया पूरा
बुलबुलों भरा
झाग ही झाग
बस दोनों ही
हाथों में रह गया
हे राम
तू निकला
गाँधी के मुँह से
उनकी अंतिम
यात्रा के पहले
उसके बाद
आज निकल
रहा है एक नहीं
कई कई मुँहों से
एक साथ
हे राम
ये क्या हो गया
भक्तों की पूजा
अर्चना करना
क्या सब
मिट्टी मिट्टी
हो गया
आदमी मेरे
गाँव का लगा
आज तेरे से
ज्यादा ही
पावरफुल
हो गया
अब क्या कहूँ
किससे कहूँ
रोना आ रहा है
धोने के लिये
बाकी कहीं भी
कुछ नहीं रह गया ।

चित्र साभार: www.4to40.com