लिखी
लिखायी
बकवास को
लिखने के
बाद ही सही
थोड़ा सा
नीरमा लेकर
क्या
धो नहीं सकता है
लिखे को
धोने में
परेशानी है अगर
सोच को ही
धो लेने का
कोई इन्तजाम
क्या
लिखने से पहले
हो नहीं सकता है
दिखता है
देखने
वाले के
देखने से
थोड़ा सा
कुछ लिखने
की कोशिश में
असली बात
इस तरह से
हमेशा ही कोई
खो नहीं सकता है
सालों
लिखते
हो गये
थोड़ा सच
और
थोड़ा झूठ
अब
यहाँ तक
पहुँच कर
एक
पूरा सच
और
एक
पूरा झूठ
सामने
रख दे
सीधे सीधे
हँसते हँसाते
थोड़ी
देर के लिये
झूठा ही सही
क्या
रो नहीं सकता है
‘उलूक’
सीखता
क्यों नहीं कुछ
कभी
पढ़कर भी कुछ
कुछ भी
लिखता
लिखाता
सही गलत
ही सही
होने
का क्या है
ठान ले
अगर कोई
क्या कुछ
हो नहीं सकता है।
चित्र साभार: https://www.teepublic.com
लिखायी
बकवास को
लिखने के
बाद ही सही
थोड़ा सा
नीरमा लेकर
क्या
धो नहीं सकता है
लिखे को
धोने में
परेशानी है अगर
सोच को ही
धो लेने का
कोई इन्तजाम
क्या
लिखने से पहले
हो नहीं सकता है
दिखता है
देखने
वाले के
देखने से
थोड़ा सा
कुछ लिखने
की कोशिश में
असली बात
इस तरह से
हमेशा ही कोई
खो नहीं सकता है
सालों
लिखते
हो गये
थोड़ा सच
और
थोड़ा झूठ
अब
यहाँ तक
पहुँच कर
एक
पूरा सच
और
एक
पूरा झूठ
सामने
रख दे
सीधे सीधे
हँसते हँसाते
थोड़ी
देर के लिये
झूठा ही सही
क्या
रो नहीं सकता है
‘उलूक’
सीखता
क्यों नहीं कुछ
कभी
पढ़कर भी कुछ
कुछ भी
लिखता
लिखाता
सही गलत
ही सही
होने
का क्या है
ठान ले
अगर कोई
क्या कुछ
हो नहीं सकता है।
चित्र साभार: https://www.teepublic.com