उलूक टाइम्स: सीधे सीधे
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मंगलवार, 30 जुलाई 2013

सीधे सीधे बता पागल मत बना

कबीर जैसा कैसे बनूँ
कैसे कुछ ऎसा कहूँ

समझ में खुद के भी कुछ आ जाये
समझाना भी सरल सरल सा हो जाये

पहेलियाँ कहाँ किसी की
सहेलियाँ 
हुआ करती हैं
समझने के लिये दिमाग तो लगाना ही पड़ता है

जिसके पास जितना होता है
उतना ही बस खपाना पड़ता है

जिसके समझ में आ गई
जिंदगी को सुलझाता चला जाता है

उससे पहेली पूछने फिर
किसी को कहीं नहीं आना पड़ता है

उसका एक इशारा
अपने 
आप में पूरा संदेश हो जाता है

उसे किसी को कुछ
ज्यादा में बताना भी नहीं पड़ता है

दूसरी तरफ ऎसा भी कहीं पाया जाता है
जिसको आस पास का बहुमत ही पागल बनाता है

जहाँ हर कोई 
एक कबूतर को बस यूं ही देखता चला जाता है

पूछने पर एक नहीं हर एक
उसे कौवा एक बताना चाहता है

एक अच्छी भली आँखो वाले को
डाक्टर के पास जाना जरूरी हो जाता है
बस इन्ही बातों से कोई दीवाना सा हो जाता है

सीधे सीधे किसी बात को कहने में शरमाता है

कभी आदमी को गधा
कभी गधे को आदमी बनाना सीख जाता है

समझने वाला
समझ भी अगर जाता है
समझ में आ गया है करके
किसी को भी बताना नहीं चाहता है

अब आप ही बताइये

बहुमत छोड़ कर
कौन ऎसे पागल के साथ में आना  जाना चाहता है ।

रविवार, 7 अक्तूबर 2012

संडे है आज तुझे कर तो रहा हूँ याद

इस पर लिखा उस पर लिखा
ताज्जुब की बात 
तुझ पर कभी कुछ नहीं लिखा

कोई बात नहीं
आज जो कुछ देख कर आया हूँ
उसे अभी तक 
यहाँ लिख कर नहीं बताया हूँ

ऎसा करता हूँ
आज कुछ भी नहीं बताता हूँ
सीधे सीधे
तुझ पर ही कुछ
लिखना शुरू हो जाता हूँ

इस पर या उस पर लिखा
वैसे भी किसी को
समझ में कब कहाँ आता है
काम सब
अपनी जगह पर होता चला जाता है

इतने बडे़ देश में 
बडे़ बडे़ लोग 
कुछ ना कुछ करते जा रहे हैं
अन्ना जैसे लोग
भीड़ इकट्ठा कर गाना सुना रहे हैं

अपने कनिस्तर को
आज मैं नहीं बजा रहा हूँ

छोड़
चल आज तुझ पर ही 
बस कुछ कहने जा रहा हूँ
अब ना कहना 
तुम्हें भूलता ही जा रहा हूँ ।