उलूक टाइम्स: 2019
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शनिवार, 28 दिसंबर 2019

एक साल बेमिसाल और फिर बिना जले बिना सुलगे धुआँ हो गया


मुँह में दबी सिगरेट से 
जैसे झड़ती रही राख पूरे पूरे दिन पूरी रात
फिर एक बार
और सारा सब कुछ हवा हो गया
एक साल और सामने सामने से
मुँह छिपाकर गुजरता हुआ जैसे धुआँ हो गया 
थोड़ी कुछ चिन्गारियाँ उठी कुछ लगी आग 
दीवाली हुयी
आँखों की पुतलियों में  तैरती बिजलियाँ सी दिखी 
खेला गया चटक गाढ़ा लाल रंग
बहता दिखा गली सड़कों में 
गोलियों पत्थरों से भरे गुलाल से 
उमड़ता जैसे फाग 
आदमी को आदमी से तोड़ता हुआ आदमी
आदमी के बीच का एक आदमी  उस्ताद
पता भी नहीं चला
आदमी आदमी के सर पर चढ़ता 
दबाता आदमी को जमीन में 
एक आदमी  आदमी का खुदा हो गया 
देखते देखते सामने सामने से ही
ये गया और वो गया 
सोचते सोचते
धीमे धीमे दिखाता अपनी चालें
कितनी तेजी के साथ देखो कैसे धुआँ हो गया
‘उलूक’ मौके ताड़ता
बहकने के कुछ रंगीन सपने
देखते देखते रात के अंधेरे अंधेरे
ना जाने कब खुद ही काला सफेद हो गया
पता भी नहीं चला कैसे
फिर से एक पुराना साल
नये साल के आते ना आते
बिना लगे आग बिना सुलगे ही
बस धुआँ और धुआँ हो गया ।


चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/

मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

अपनी कब्र का पेटेंट 2019 के चुनावों से पहले तुरन्त करा बिल्कुल नया है ये आईडिया

बहाने
मत बना
सही बात
साफ साफ बता

कलम
बीमार है
कागज का
पेट आज
बहुत खराब है

जैसा जुमला

अब रहने भी दे
किसी पुराने
पीतल या ताँबे के
गमले में दे सजा

कुछ भी
लिख
देने वाले
के साथ
ऐसा ही
है होता

कितने
साल हो गये
लिखते बकते

अब तो समझ ले

अभी भी
समय है
एक बार
फिर से
समझाया
जा रहा है

सुधर जा

अपने
पन्ने पर कर

जो करना है
जो देखना है
जो कहना है

किसी ने
नहीं है रोका

इधर उधर
इसके उसके
लिखे लिखाये को

देखने पढ़ने
के लिये तो
भूल कर
भी मत जा

कपड़े उतार
सड़क पर
लेट जा

अखबार के
चौथे पन्ने
यानी
बस कस्बे
की खबर
हो जा
छ्प जा
तर जा

बिना कोई
गुल छिपाये
गुल खिलाये
घर के अन्दर

मुख्य पृष्ठ में
छपने का
भूल जा

सोचना
सच में
होता है
बहुत ही बुरा

किसलिये
खाये जाता है
अपना ही दिमाग

इसमें कुछ
दिमाग लगा

लोग लिख रहे हैं
लिखते रहेंगे
दीवाने गालिब
की सोच कर
दीवाने होते रहेंगे

काहे
पागल लोगों के
लिखे लिखाये
के पीछू जाता है

अपने
पागलपन की
खुद कोई
पगलाई हुई सी
एक पागल
मोहर बना

बुराई
नहीं है

सच में

सलीकेदार
समझे बुझाये
पागलों की
भीड़ में
सच्चा एक
पागल हो जा

‘उलूक’
दुनियाँ को
समझने के लिये
किताबें मत पढ़

दुनियाँ
पागल बनाती है
समझ ले पहले से

पागल हो जा

फावड़ा उठा

अपनी
ही कब्र खोद

कब्र का पेटेंट
2019 के चुनावों
के होने से पहले
तुरन्त करा ।

चित्र साभार: www.shutterstock.com