उलूक टाइम्स: yashoda Agrawal
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गुरुवार, 26 जून 2025

शुभकामनाएं जन्मदिन की पाँच लिंक्स

 

चिट्ठियाँ ना जाने कब का सो गयीं
या शायद रास्ते में कहीं खो गयीं
लेकर के झोले डाकिए दिखते तो हैं 
कुछ सामान शायद अभी भी बिकते तो हैं
चिट्ठे होश खो रहे हों जैसे
चिट्ठाकार कुछ बेहोश हो रहे हों जैसे
कलम हाथ में रहती है जैसे
जुबां तक फिसल कर बात बस बहती है जैसे
कहीं कुछ नशा है कहीं कुछ जहर है
पर है कुछ कहीं मीठी सुबह मीठा दोपहर है
अपने में मगन है अपने ही शगुन हैं
सिमटते गाँव घर सड़क नदी सिमटते हुए शहर हैं
बैचेन जानवर हैं पंछी नदारत हैं
हवा बहक रही हो जैसे उदास सी कुछ इमारत है
फिर भी उठाता है कोई कभी किसी को
जगाता है नींद से यूं ही कोई कहीं किसी को
लिखने लिखाने की बातें इधर से उधर से
उठा कर जमा कर एक चौपाल पर कब से
लाता बताता जागते रहो कि आवाज सुनाता किसी को
शुभकामनाएं 'उलूक' की इसको उसको सभी को
जन्मदिन मनाता पाँच लिंकों का आनंद
साथ में रथयात्रा का निमंत्रण दे जाता है सबको

चित्र साभार: https://www.shutterstock.com/