उलूक टाइम्स

शनिवार, 26 नवंबर 2011

थप्पड़

थप्पड़ घूंसे
और लात
बहुत पुरानी
तो नहीं
कुछ समय
पहले पैदा
हुवी संस्कृति
पूर्ण रूपेण
भारतीय
दूसरी तरफ
अन्ना
सफेद टोपी
और
उनकी आरती
वो भी पूर्ण
भारतीय
दोनों में
पब्लिक का
जबर्दस्त
देख लो ना
योगदान
ओ कदरदान
भाषण वक्तव्य
समाचार
और टी वी
के प्रोग्राम
टी आर पी
बढ़ाने के
नित नवीन
प्रयोग
इसे क्या
नहीं कहेंगे
केवल एक
संयोग
कि नहीं
समझ पाया
आज तक
कोई
भारत का
भीड़ योग
अन्ना आता है
भीड़ लाता है
सब शान्ति से
निपट जाता है
अन्ना जाता है
भीड़ ले जाता है
और परदा
गिरते ही
बेचारा
एक नेता
मुफ्त में
थप्पड़ खा
जाता है ।

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

अभिनेता आज के समाज में

अंदर की
कालिख को
सफाई से
छिपाता हूँ

चेहरा
मैं हमेशा 
अपना
चमकाता हूँ

शातिर
हूँ मैं
कोई नहीं
जानता 
है

हर कोई मुझे
देवता जैसे
के नाम से
पहचानता 
है

मेरा
आज तक
किसी से कोई
रगड़ा
नहीं हुवा 
है

और तो और
बीबी से भी
कभी झगड़ा
नहीं हुवा 
है

धीरे धीरे
मैने अपनी
पैठ बनाई 
है

बड़ी मेहनत से
दुकानदारी 
चमकाई 
है

कितनो को
इस चक्कर में
मैने लुटवा दिया 
है

वो आज भी
करते हैं प्रणाम
सिर तक
अपने पांव में
झुकवा दिया 
है

पर अंदाज
किसी को 
कभी नहीं
आता  है

खेल खेल
में ही ये सब
बड़े आराम
से किया
जाता है

और  मैं
बडे़ आराम से हूँ
चैन की बंसी
बजाता हूं

जो भी
साहब
आता है
पहले उसको
फंसाता हूँ

सिस्टम को
खोखला
करने में
हो गई है
मुझे महारत

तैयारी में हूँ
अब करवा
सकता हूँ
कभी भी
महाभारत

तुम से ही
ये सारे
काम करवाउंगा

अखबार में
लेकिन फोटो
अपनी ही
छपवाउंगा

इस पहेली को
अब आपको ही
सुलझाना है

आसपास आज
आप के
कितने मैं
आबाद हो गये हैं
पता लगाना है

ज्यादा कुछ
नहीं करना है
उसके बाद
हल्का सा
मुस्कुराना है ।

बुधवार, 23 नवंबर 2011

आदमी / बंदर

डारविन को
कोट कर
सुना है बंदर
को आदमी
बना दिया गया
उन किताबों मे
लिखा गया है
जिनका
आई एस बी एन
नम्बर भी हुवा
करता है
यानि
जो आदमी
को कभी
कुछ अंक भी
दिया करता है
बंदर से
एक पक्का
आदमी
बनाने में
जब से
अंको की
गिनती होना
शुरू हुवी है
बंदर भी सुना
अंको के
जुगाड़ में हैं
बंदर अब खेत
नहीं उजाड़ते
किताबे छापना
शुरू कर
दिये हैं
और तब से
किसी भी
बंदर को डारविन
का डर नहीं
सताता
अब बंदर
आदमी को देख
कर भागना
बंद करने
वाले हैं
अंक पूरे कर
आदमी ही
हो जाने
वाले हैं ।

रिटायरमेंट

साठ से
हो गयी
पैंसठ
की हवा
फिर से
अचानक
क्या उड़ी
सुनते ही
शर्मा जी
की लाठी
पीछे गली
में जा पड़ी
नाई की
दुकान में
हो गया
बबाल
मेंहदी के
दाम में
देखा गया
अचानक
उछाल
पचास से
जो लोग
छुट्टियों में
थे जाने लगे
आज मेडिकल
सी एल पी एल
सभी को वापिस
मंगवाने लगे
और तो और
कई उम्रदराज
दस से चार
दिखाई दिये
साढ़े चार पर
चपरासी की
विदाई किये
उपर वाले
देख ले
साठ के उपर
पांच पर
जब आ रहा है
इतना ज्वार
पैंसठ छोड़ ना
पूरे सौ बना
फिर देखना
बूढ़े बूढ़े तेरे
से कितना
करने
लगते हैं
प्यार।

सोमवार, 21 नवंबर 2011

राजा लोग

कुछ साल
पहले ही
की बात है

हर शाखा
का
होता था
एक राजा

प्रजा भी
होती थी
चैन से
सोती थी

खुशहाली
ना सही
बिकवाली
तो नहीं
होती थी

राजा
आज भी
हुवा करता है

पर प्रजा
अब
पता नही
कहाँ है

अब तो
हर शख्स
राजा बना
बैठा है

कोई
राजा भी
कभी
राजा की
सुनता है

इसलिये
हर एक
अपना
किला
बुनता है

हर तरफ
किलों कि
भरमार है

लेकिन
सिपाही
फिर भी
ना
जाने क्यों
रहे हार हैं ?