बात बात
पर कूड़ा
पर कूड़ा
फैलाने की
फिर उसको
कहीं पर
ला कर
सजाने की
आदत
बचपन से थी
बचपन में
समझ में
जितना
आता था
उससे ज्यादा
का कूड़ा
फिर उसको
कहीं पर
ला कर
सजाने की
आदत
बचपन से थी
बचपन में
समझ में
जितना
आता था
उससे ज्यादा
का कूड़ा
इक्कट्ठा
हो जाता था
आसपास
परिवार
अपना
होता था
वही
रोज का रोज
उसे उठा
ले जाता था
दूसरे दिन
कूड़ा फैलाने
के लिये
फिर वही
मैदान
दे जाता था
कूड़ा था
कहाँ कभी
बच पाता था
जमा ही नहीं
कभी हो
पाता था
जवानी आई
कूड़े का
स्वरूप
बदल गया
सपनों के
तारों में
जाकर
टंकने लगा
एक तारा
उसे
आसमान
में ले कर
जाता था
एक तारा
टूटते हुऎ
फिर से उसे
जमीन पर
ले कर
आता था
सब उसी
तरह से
फिर से
बिखरा बिखरा
कूड़ा
हो जाता था
कितना भी
सवाँरने की
कोशिश करो
कहीं ना कहीं
कुछ ना कुछ
कूड़ा हो ही
जाता था
कूड़ा लेकिन
फिर भी
जमा नहीं
हो पाता था
अब याद भी
नहीं आता
कहाँ कहाँ
मैं जाता था
कहाँ का
कूड़ा लाता था
कहाँ जा कर उसे
फेंक कर आता था
बचपन से
शुरु होकर
अब जब
पचपन की
तरफ भागने लगा
हर चीज
जमा करने
का मोह
जागने लगा
कूड़ा
जमा होना
शुरू हो गया
रोज का रोज
अपने घर का
उसके
आसपास का
बाजार का
अपने शहर का
सारे समाज का
कूड़ा देख देख
कर आने लगा
अपने अंदर
के कूडे़ को
उसमें
थोड़ा थोड़ा
दूध में पानी
की तरह
मिलाने लगा
गुलदस्ते
बना बना के
यहाँ पर
सजाने लगा
होते होते
बहुत हो गया
एक दो
करते करते
आज कूड़ा
दो सौ पार कर
दो सौ पचासवाँ
भी हो गया ।
हो जाता था
आसपास
परिवार
अपना
होता था
वही
रोज का रोज
उसे उठा
ले जाता था
दूसरे दिन
कूड़ा फैलाने
के लिये
फिर वही
मैदान
दे जाता था
कूड़ा था
कहाँ कभी
बच पाता था
जमा ही नहीं
कभी हो
पाता था
जवानी आई
कूड़े का
स्वरूप
बदल गया
सपनों के
तारों में
जाकर
टंकने लगा
एक तारा
उसे
आसमान
में ले कर
जाता था
एक तारा
टूटते हुऎ
फिर से उसे
जमीन पर
ले कर
आता था
सब उसी
तरह से
फिर से
बिखरा बिखरा
कूड़ा
हो जाता था
कितना भी
सवाँरने की
कोशिश करो
कहीं ना कहीं
कुछ ना कुछ
कूड़ा हो ही
जाता था
कूड़ा लेकिन
फिर भी
जमा नहीं
हो पाता था
अब याद भी
नहीं आता
कहाँ कहाँ
मैं जाता था
कहाँ का
कूड़ा लाता था
कहाँ जा कर उसे
फेंक कर आता था
बचपन से
शुरु होकर
अब जब
पचपन की
तरफ भागने लगा
हर चीज
जमा करने
का मोह
जागने लगा
कूड़ा
जमा होना
शुरू हो गया
रोज का रोज
अपने घर का
उसके
आसपास का
बाजार का
अपने शहर का
सारे समाज का
कूड़ा देख देख
कर आने लगा
अपने अंदर
के कूडे़ को
उसमें
थोड़ा थोड़ा
दूध में पानी
की तरह
मिलाने लगा
गुलदस्ते
बना बना के
यहाँ पर
सजाने लगा
होते होते
बहुत हो गया
एक दो
करते करते
आज कूड़ा
दो सौ पार कर
दो सौ पचासवाँ
भी हो गया ।