उलूक टाइम्स: आज बस मुर्गियाँ

सोमवार, 23 जुलाई 2012

आज बस मुर्गियाँ

आज कुछ
मुर्गियाँ
लाया हूँ

खाने वाले
खुश ना
होईयेगा

चिकन नहीं
बनाया हूँ

बस
लिख कर
मुर्गियाँ
फैलाया हूँ

सुबह सुबह
मुर्गियों ने मेरी
बहुत कोहराम
मचाया हुआ था

कल देर से
सोया था
रात को

सुबह के
शोर से जागा
तो बहुत
झल्लाया था

कल ही नयी
कुछ तमीजदार
मुर्गियाँ खरीद
के लाया था

पुराने दड़बे
में पुरानी
कम 

पढ़ी लिखी
मुर्गियों में
लाकर उन को
घुसाया था

नयी मुर्गियाँ
पुरानी 

मुर्गियों से
नाराज नजर
आ रही थी

इसलिये 

सब के सब 
जोर जोर
से चिल्लाये
जा रही थी

मुर्गियों को
मुर्गियों में
ही मिलाया था

मुर्गीखाना था
उसी में डाल
कर के 

आया था

किसी को
लग रहा हो
कबूतर खाना
मैंने तो कहीं
नहीं बनाया था

क्यों कर
रही होंगी
मुर्गियाँ ऎसा

समझने की
कोशिश
नहीं कर
पा रहा था

अपने खाली
दिमाग की
हवा को
थोड़ा सा
बस हिलाये
जा रहा था

थक हार
कर सोचा

मुर्गियों से ही
अब पूछा जाये

इस सब बबाल
का कुछ हल तो
ढूँढा ही अब जाये

मुर्गियों ने बताया
कल जब उनको
लाया जा रहा था

तब उनको ये भी
बताया जा रहा था

इधर की मुर्गियाँ
कुछ अलग
मुर्गियाँ होंगी
कुछ नहीं करेंगी

उनको बहुत
आराम से
सैटल होने को
जगह दें देंगी

पर यहाँ तो
अलग माजरा
नजर आ रहा है
हर मुर्गी में
हमारे यहाँ की
जैसी मुर्गियों का
एक डुप्लीकेट
नजर आ रहा है

मैने बहुत
धैर्य से सुना
और प्यार से
मुर्गियों को
थपथपाया
और समझाया

वहाँ भी मुर्गियाँ थी
यहाँ भी मुर्गियाँ है

वहाँ से यहाँ
आने पर मुर्गी
आदमी तो
नहीं हो जायेगी

हो भी जायेगी
तब भी मुर्गी
ही कहलायेगी

चुप रहे तो
शायद
कोई नहीं
पहचान पायेगा

मुँह खोलते
ही दही दूध
फैलायेगी

अपनी हरकतों से
पकड़ी ही जायेगी

इसलिये
ज्यादा मजे
में तो मत
ही आओ

दाना मिल
तो रहा है
पेट भर के
खाते जाओ

फिर
कुकुड़ूँ कूं
करते रहो

मेरा
बैंड बाजा
पहले से ही
बजा हुआ है
तुम उसको
फिर से तो
ना बजाओ

मुर्गियो
आदमी हो
जाने के ख्वाब
देखने से

 बाज आओ ।

12 टिप्‍पणियां:

  1. लोटा को छोटा किया,मुर्गियों से करे सवाल
    पेट भर के दाना खाओ,फिर करते रहो बबाल,,,,

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  2. मुर्गियां तो हैं नई पुरानी
    मुर्गियों का चिकन नहीं है
    न तंदूरी, न जी हजूरी
    मुर्गियां मुसल्‍लम कहां है
    यह तो बतलाओ
    मुकेश को जी को
    वहां से दूर हटाओ

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  3. बहुत बढ़िया...मुर्गियां ही मुर्गियां ..

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  4. मुर्गी अगर फ्राई हो तो चिकन फ्राई कहलाये ,
    अगर ये दें अंडे तो आमलेट बन जाये.
    महंगाई के दौर में तो ये भी गनीमत होती हैं,
    वर्ना कहाँ गरीब के घर में मुर्गी पाली जाए.



    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

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  5. घर की मुर्गी दाल बराबर, मुँह में मरी मसूर नहीं है ।

    आमलेट की बात करें क्या, दाल मिले न तूर कहीं है ।

    नई पुरानी लियें मुर्गियां, पंडित जी दड़बे में रक्खें-

    लेकिन जब एडजस्ट करें न, मुर्ग-मुसल्लम पके सही है ।

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  6. उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।

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  7. माँग रहे हैं मुर्गियाँ, क्योंकि मँहगी दाल।
    घर की मुर्गी को सभी, करते यहाँ हलाल।।

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  8. रोचक प्रस्तुति बहुत बढ़िया मुर्गियों के माधाम से बहुत कुछ कह दिया

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